For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़ुदा हुआ पर सज़ा नहीं है

121 22 121 22

...

ज़ुदा हुआ पर सज़ा नहीं है,
न ये समझना ख़ुदा नहीं है ।

ज़रा सा नादाँ है इश्क़ में वो,

सबक़ वफ़ा का पढ़ा नहीं है'

दिखाऊँ कैसे वो दिल के अरमाँ ,
चराग दिल का जला नहीं है ।

है दर्द गम का सफर में अब तक,
कि अश्क़ अब तक गिरा नहीं है ।

न वो ही भूले ये दिल दुखाना,
यहाँ अना भी खुदा नहीं है ।

न देना मुझको ये ज़ह्र कोई,
हुनर तो है पर नया नहीं है ।

लिपट जा आकर तू ऐ महब्बत,

जनाज़ा रुख़्सत हुआ नहीं है'

********

मौलिक व अप्रकाशित

--------हर्ष महाजन

Views: 715

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on April 8, 2018 at 5:52pm

आदरणीय नीलेश जी  ऊला मिसरा ठीक करते सानी बिगड़ गया ।

ज़रा सा वो इश्क़ में है नादाँ,
सबक इश्क़ का पढ़ा नहीं है ।

चल आ लिपट जा तू ऐ मुहब्बत,
ज़नाज़ा रुक्सत हुआ नहीं है ।

आखिरी शेर के ऊला मिसरे को यूँ भी तो लिख सकते हैं

चल आ लि /पट जा /तू ऐ मु/हब्बत

121  / 22       /121/22

सादर ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 8, 2018 at 5:07pm

आ. हर्ष जी 
इश्क़ का मतलब पढ़ा नहीं है ।

इश्क   को इ शक न पढ़े ..
सादर 

Comment by Harash Mahajan on April 8, 2018 at 12:29pm

आदरणीय  Sheikh Shahzad Usmani जी आदाब । आपको पेशकर्दा रचना पसंद आयी मेरा लिखना सार्थक हुआ । उम्मीद है आप यूँ ही आते रहेंगे । शुक्रिया सर ।

सादर ।

Comment by Harash Mahajan on April 8, 2018 at 12:27pm

आदरणीय नीलेश जी आदाब । आपकी आमद हर बार मुझे कुछ सीखा जाती जाती है । सबसे पहले तो शुक्रिया सुधार हेतु बारीकी से देख मुझे मार्गदर्शन देने के लिए । आपके निर्देशानुसार वो दोनों शेर दुबारा लेकर आया हूँ सर ज़रा अपना कीमती वक़्त दीजियेगा ....

ज़रा सा वो इश्क़ में है नादाँ,
इश्क़ का मतलब पढ़ा नहीं है ।

.

तू आ लिपट जा मुझे मुहब्बत,
ज़नाज़ा रुक्सत हुआ नहीं है ।

आपकी इंतज़ार में 

सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2018 at 11:30am

पते की बात। इंसानों के अहसास की बात। बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएं आदरणीय हर्ष महाजन जी।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 8, 2018 at 11:16am

आ. हर्ष जी,
मुश्किल बहर पर    अच्छा प्रयास हुआ है..
ज़रा सा है वो इश्क़ में नादाँ
आजा लिपट जा तू ऐ मुहब्बत,... ये दोनों मिसरे बहर में नहीं हैं...
पूरी  ग़ज़ल वक़्त   माँग रही है 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service