For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आधा तेरा साथ और आधी जुदाई है ।

बह्र:-221-2121-2221-212

आधा है तेरा साथ ओर आधी जुदाई है।।
कुछ इस तरह चिरागे दिल की रौशनाई है ।।

चहरे में मुस्कुराहटें आई हैं लौट कर ।
जब जब भी मैंने याद की ओढ़ी रजाई है।।

विस्मित नहीं हुई अभी,अपनी हो आज भी।
रिश्ता जरूर बदला है अब तू पराई है।।

कितना भी पढ़ लो जिंदगी की इस किताब को ।
मासूस हो यही अभी,आधी पढाई है।।

नजरों से हूबहू अभी वो ही गुजर गया।
जिसकी है जुस्तजू मुझे, तन पे सिलाई है ।।

जब से हुए हो दूर तुम,खुद से हूँ लापता।
मालूम जिंदगी को है , कैसे बिताई है।।

मशगूल हो गए हो अब मालूम हो गया ।
अब लौट कर के हिचकियाँ बैरंग जो आई हैं।।

आमोद बिन्दौरी / मौलिक अप्रकाशित

Views: 838

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on March 26, 2018 at 12:20pm

आद0 आमोद जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल का बढिया प्रयास। बधाई कुबूल कीजिये। शेष आद0 आली जनाब समर कबीर साहब के सुझावों पर गौर कीजियेगा

Comment by Samar kabeer on March 26, 2018 at 11:50am

बाक़ी अशआर में शिल्प और व्याकरण पर अभ्यास की ज़रूरत है ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 26, 2018 at 11:40am

आ समर दादा प्रणाम 

जी शुक्रिया दादा ....कृपया  अन्य शेर पर भी  मार्गदर्शन दे दीजिये फिर मैं एडिट कर पाऊ

Comment by Samar kabeer on March 26, 2018 at 11:34am

'रोशनाई' का अर्थ रौशनी नहीं स्याही(इंक) ही है ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 26, 2018 at 9:53am

कुछ इस तरह किताबें दिल में रौशनाई है ।।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 26, 2018 at 8:23am

aa smar dada pranam

rekhta se mujhe maayene mile the .....

raushnaa.ii

रौशनाई

روشنائی

ink, light, splendour

रौशनी

agar fir bhi sahi n ho.. to jarur punh  nya sani  likhta hun

Comment by Samar kabeer on March 25, 2018 at 9:29pm

जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन शिल्प और व्याकरण पर अभी बहुत अभ्यास की ज़रूरत है,प्रयासरत रहें,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

मतले के सानी मिसरे में क़ाफ़िया ग़लत है,"रोशनाई" का अर्थ होता है,"ink"

स्याही,इसे बदलने का प्रयास करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 25, 2018 at 1:48pm

अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 25, 2018 at 10:50am

aa shyam narain sir nmn

pratsahn ke liye aabhar

Comment by Shyam Narain Verma on March 23, 2018 at 5:52pm
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service