For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विश्व कविता दिवस पर एक कविता मंच को समर्पित

विश्व कविता दिवस पर महाभारत युद्धकाल में भगवान के वचनों को अपने शब्दों में पिरोने की कोशिश

​​रे रे पार्थ ये क्या करते हो?
धनु धरा पर क्यों धरते हो?
ओ शूरवीर मत हो अधीर
नैनों में क्यों भरते हो नीर
जीवन तो आना जाना है
चिरकाल किसे रह जाना है
मन में यूँ न मोह धरो
गांडीव उठाओ कर्म करो
मृत्यु बंन्धन से मुक्ति है
किस बात की आसक्ति है
धर्म विमुख हो पाप न कर
रक्षा कर संताप न कर
हे धनंजय हे महारथी
मत भूलो 'मैं' तेरा सारथी
पृत्यंचा खींच ललकार करो
चढ़ नंदिघोष प्रहार करो
धर्म की जब विजय होगी
हे अर्जुन तेरी जय-जय होगी
कायरता को वरण करते हो
रे रे पार्थ ये क्या करते हो?
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 804

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 23, 2018 at 5:07pm

आदरणीय आरिफ जी हार्दिक आभार

Comment by Mohammed Arif on March 22, 2018 at 4:44pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब,

                      कविता दिवस पर पेश बहुत ही बेहतरीन कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 22, 2018 at 4:11pm

स्वागत है आदरणीय सुरेन्द्र जी..सादर अभिवादन स्वीकार करें..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 22, 2018 at 4:10pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय समर कबीर जी..स्नेह बनाये रखें..सादर

Comment by नाथ सोनांचली on March 22, 2018 at 2:58pm

आद0 बृजेश कुमार बज्र जी सादर अभिवादन। कविता दिवस पर अच्छी प्रस्तुति। बहुत बहुत बधाई आपको। सादर

Comment by Samar kabeer on March 22, 2018 at 12:07pm

जनाब बृजेश जी आदाब,कविता दिवस पर अच्छी प्रस्तुति,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 22, 2018 at 8:59am

नमन संग आभार स्वीकार करें आदरणीया कल्पना जी..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 22, 2018 at 8:58am

आदरणीय तस्दीक़ जी आपके शब्द ह्रदय में संजोने लायक हैं..इस ज़र्रानवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 22, 2018 at 8:57am

बहुत बहुत आभार आदरणीय धामी जी..

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 21, 2018 at 10:29pm

सुंदर सन्देश प्रद कविता हुई है | हार्दिक बधाई आदरणीय|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service