For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की -. माँ भारती की शान में,

२२१२/२२१२
.
माँ भारती की शान में,
वो रोज़ नव परिधान में.
.
क्यूँ राष्ट्रभक्ति खो गयी
समवेत गर्दभ गान में.
.
सब हो गए कितने पतित
सोचो कथित उत्थान में.
.
हर बैंक कर देंगे सफा
वो स्वच्छता अभियान में.
.
इन्सानियत बाक़ी कहाँ 
अब है बची इन्सान में.  
.
वो माफ़िनामे लिख गये
अपना यकीं बलिदान में.
.
कैसे मसीहा देख लूँ
उस इक निरे नादान में.
.
करते दहन है खूँ फ़िशां
कत्था लगा कर पान में.
.
क्यूँ छल कपट को घर दिया
इस ज़ह’न-ए-आलिशान में.
.
पैग़ाम केवल .. प्रेम है
गीता में औ कुर’आन में.  
.
कुछ भी नहीं है फ़र्क़ “नूर” 
अल्लाह में भगवान में.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 15, 2018 at 7:53pm

शुक्रिया आ. सुशिल जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 15, 2018 at 7:53pm

शुक्रिया आ. समर सर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 15, 2018 at 7:53pm

शुक्रिया आ. अजय शर्मा जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 15, 2018 at 7:52pm

शुक्रिया आ. सोमेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 15, 2018 at 7:52pm

शुक्रिया आ. अजय जी 

Comment by Ajay Kumar Sharma on March 15, 2018 at 2:42pm

वाह !

बहुत सुन्दर रचना...

Comment by Sushil Sarna on March 15, 2018 at 2:36pm

हर बैंक कर देंगे सफा
वो स्वच्छता अभियान में.
.
इन्सानियत बाक़ी कहाँ
अब है बची इन्सान में.

वाह आदरणीय क्या अहसास पिरोये हैं आपने अपनी इस शानदार ग़ज़ल में। हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on March 15, 2018 at 12:28pm

जनाब निलेश 'नूर"साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by somesh kumar on March 15, 2018 at 9:24am

bhut khub

Comment by Ajay Tiwari on March 15, 2018 at 8:53am

हर बैंक कर देंगे सफा 
वो स्वच्छता अभियान में.

बहुत खूब!

आदरणीय निलेश जी, इस सामयिक ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
34 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
41 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
41 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
47 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service