For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फितरत नहीं छिपती है - (गजल)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१ १२२२ २२१ १२२२


नफरत के बबूलों को आँगन में उगाओ मत
पाँवों में स्वयं के अब यूँ शूल चुभाओ मत।१।


ऐसा न हो यारों फिर बन जायें विभीषण वो
यूँ दम्भ में इतना भी अपनों काे सताओ मत।२।


फितरत नहीं छिपती है कैसे भी मुखौटे हों
समझो तो मुखौटे अब चेहरों पे लगाओ मत।३।


माना कि तमस देता तकलीफ बहुत लेकिन
घर को ही जला डाले वो दीप जलाओ मत।४।


ढकने को कमी अपनी आजाद बयानों पर
फतवों के मेरे  हाकिम  पैबंद  लगाओ मत।५।


ये वक्त तमाचा  झट जड़  देगा तुम्हारे भी
हालत पे किसी की तुम गाल बजाओ मत।६।


टूटेगा तो  पाँवों में  गिरकर  ये  चुभन देगा
शीशे को तड़ी में यूँ पत्थर तो दिखाओ मत।७।


मालूम नहीं शायद तन भी है  महज मिट्टी
कहते हैं घरौंदा वो मिट्टी का सजाओ मत।८)।


मौलिक अप्रकाशित

Views: 833

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 1, 2018 at 9:35pm

जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें । जनाब समर साहिब की बातों का संज्ञान लें।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 1, 2018 at 6:15pm

आदर्णीय लक्ष्मण धामी जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकारें।

Comment by Mohammed Arif on February 1, 2018 at 5:36pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,

                          बढ़िया ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की हस्लाह पर तत्काल प्रभाव से अमल करें तो ग़ज़ल में और निखार आ जाएगा ।

Comment by Samar kabeer on February 1, 2018 at 3:30pm

जनाब लक्ष्मण धामी " मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

तीसरे शैर के सानी मुसरे में 'चहरे' की जगह "चहरों' करना उचित होगा ।

छटे शैर का सानी मिसरा लय में नहीं है, टंकण त्रुटि है शायद ?

7वें शैर के ऊला में 'भी' शब्द की जगह "ये" करना उचित होगा ।

आठवें शैर के ऊला मिसरे में 'तो' शब्द की जगह "हो" शब्द उचित होगा ।

Comment by Samar kabeer on February 1, 2018 at 3:14pm

अब तबीअत कुछ ठीक है,मेरे बेटे को ओबीओ पर चेट करना नहीं आता ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
8 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
20 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
24 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
35 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
47 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
51 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service