For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमने हरिक उम्मीद का पुतला जला दिया- सलीम रज़ा

221 2121 1221 212
हमने हरिक उम्मीद का पुतला जला दिया
दुश्वारियों को पांव के नीचे दबा दिया
-
मेरी तमाम उँगलियाँ घायल तो हो गईं
लेकिन तुम्हारी याद का नक्शा मिटा दिया  
-
मैंने तमाम छाँव ग़रीबों में बांट दी
और ये किया कि धूप को पागल बना दिया
-
उसके हँसीं लिबास पे इक दाग़ क्या लगा 
सारा  ग़ुरूर ख़ाक़ में उसका मिला दिया 
-
जो  ज़ख्म  खाके भी रहा है आपका सदा 
उस दिल पे फिर से आपने खंज़र चला दिया
-
उसने निभाई ख़ूब मेरी दोस्ती " रज़ा "
इल्ज़ाम-ए-क़त्ल-ए-यार मुझी पर लगा दिया
_______________________________
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 887

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on January 25, 2018 at 1:13pm

बहुत ही कसी हुई खूबसूरत गज़ल। हार्दिक बधाई।

Comment by SALIM RAZA REWA on January 24, 2018 at 10:33pm
अमोद भाई,
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त के लिए शुक्रिया.
Comment by SALIM RAZA REWA on January 24, 2018 at 10:32pm
जनाब आरिफ साहब,
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त और हौसला अफज़ाई के लिए दिली.
Comment by SALIM RAZA REWA on January 24, 2018 at 10:32pm
महेंद्र कुमार जी ग़ज़ल की तारीफ़ के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on January 24, 2018 at 10:31pm
बलराम जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
Comment by amod shrivastav (bindouri) on January 24, 2018 at 8:49pm

बहुत खूब आदरणीय   सादर बधाई 

Comment by Mohammed Arif on January 24, 2018 at 8:02am

आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,

                      बहुत भी प्रभावशाली ग़ज़ल कही । हर शे'र भाव प्रवणता लिए है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें।

Comment by Mahendra Kumar on January 23, 2018 at 8:18pm

जो  ज़ख्म  खाके भी रहा है आपका सदा 
उस दिल पे फिर से आपने खंज़र चला दिया ...बहुत ख़ूब! 

बढ़िया ग़ज़ल है आ. सलीम जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Balram Dhakar on January 23, 2018 at 6:22pm
बहुत बढ़िया ग़ज़ल, जनाब रज़ा साहब। दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।
Comment by SALIM RAZA REWA on January 23, 2018 at 2:29pm
आ. तेजवीर सिंह जी,
बहुत शुक्रिया.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
23 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
49 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service