For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश के हर इंसान में शंकर देखा है

22 22 22 22 22 2
आंखों में आबाद समंदर देखा है ।
हाँ मैंने उल्फ़त का मंजर देखा है ।।

कुछ चाहत में जलते हैं सब रोज यहां ।
चाँद जला तो जलता अम्बर देखा है ।।

आज अना से हार गया कोई पोरस ।
तुझमें पलता एक सिकन्दर देखा है ।।

एक तबस्सुम बदल गई फरमान मेरा ।
मैंने तेरे साथ मुकद्दर देखा है ।।

कुछ दिन से रहता है वह उलझा उलझा ।
शायद उसने मन के अंदर देखा है ।।

बिन बरसे क्यूँ बादल सारे गुज़र गए ।
मैंने उसकी जमीं को बंजर देखा है ।।

हो जाते जज़्बात बयां सब बातों से ।
नाम उसी का लब पर अक्सर देखा है ।।

खूब दुआएं जो देते थे जीने की ।
आज उन्हीं हाथों में ख़ंजर देखा है ।।

मीरा और सुकरात पे ही मौक़ूफ़ नहीं ।
देश के हर इंसान में शंकर देखा है ।।

लाचारी का हाल न पूछो अब मुझसे ।।
तेरी खातिर सब कुछ खोकर देखा है ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 28, 2017 at 6:36pm
हार्दिक बधाई ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on November 27, 2017 at 4:03pm
बहुत बहुत आभार सर । दो गज़ल हो गई सर अभी दो बाकी हैं ।
Comment by Samar kabeer on November 27, 2017 at 2:02pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

तीसरे शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,क्या कहना चाहते हैं ?
चौथे शैर में 'तबस्सुम'शब्द स्त्रीलिंग है, और दोनों मिसरों में रब्त नहीं है ।
'मीरा और सुक़रात नहीं बस ज़ह्र पिए'
इस मिसरे में शिल्प कमज़ोर है,इसे यूँ कर सकते हैं:-
'मीरा और सुक़रात पे ही मौक़ूफ़ नहीं'
आख़री शैर में शुतरगुर्बा दोष है ।
एक ग़ज़ल तो ये हो गई,बाक़ी तीन कौन सी हैं?
Comment by Mohammed Arif on November 26, 2017 at 6:28pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,
बेहतरीन ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on November 26, 2017 at 1:21pm
आ0 कबीर सर मेरी 4 ग़ज़लों पर आपकी कीमती सलाह बाकी है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service