For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महिला सशक्तिकरण (कामरूप छःन्द)

नारी न अबला, आज सबला, हौसले की खान
हर गम सहे वो, बिन कहे वो, बिखेरे मुस्कान
ममतामयी वो, गुण क़ई जो, ईश का वरदान
सम्मान घर की, शक्ति नर की, देव गाते गान

शिशु साथ पाले, घर सँभाले, और बाहर नाम
उल्टी पवन हो, थल गगन हो, करे ना आराम
कंधा मिलाकर, पग बढ़ाकर, ख़डी है हर धाम
पीछे नहीं अब, वो करे सब, हर तरह के काम

घर से निकलती, साथ चलती, हर कदम अब नार
अपनी लगन से, नित सृजन से, रचे नव संसार
छोटा बड़ा हो, दुख खड़ा हो, वो न माने हार
देवी स्वरूपा, स्नेह रूपा, शक्ति का अवतार

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2017 at 1:47pm
आद0 बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन, रचना पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 21, 2017 at 12:54pm
वाह वाह खूब..नारी महिमा का बखान करते हुए सुन्दर रचना...
Comment by नाथ सोनांचली on November 20, 2017 at 4:47pm
आद0 तस्दीक अहमद खान साहब सादर अभिवादन, रचना के भावों को आत्मसात कर बेह्तरीन प्रतिक्रिया से अवगत कराने और बधाई के लिए हृदय तल से आभार।
Comment by नाथ सोनांचली on November 20, 2017 at 4:42pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम, मेरी रचना पर आपका आशीष मिला, रचनाकर्म सार्थक हुआ। आपके उत्साहवर्धन से और बेहतर लिखने की प्रेरणा मिलती है, बहुत बहुत आभार आपका।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 19, 2017 at 8:53pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,महिलाओं का दर्द बयान करते सुन्दर कामरूप छन्द हुए हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by Samar kabeer on November 19, 2017 at 5:23pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,महिला सशक्तिकरण पर बहुत उम्दा कामरूप छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on November 18, 2017 at 11:48am
आद0 सलीम साहब सादर अभिवादन, रचना पर आपकी उपस्थिति और मुबारकबाद का बहुत बहुत आभार
Comment by SALIM RAZA REWA on November 18, 2017 at 10:10am

सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई ,, कहीं कहीं गेयता भंग हो रही है देखिएगा 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service