For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा--एटीकेट्स

" विजेश ! विजेश ! हू इज़ विजेश ।"
" आई एम विजेश सर ।" डरता-डरता विजेश सिर झुकाकर खड़ा हो गया ।
" व्हेरी गुड ! यू आर विजेश । तुम्हारी कई दिनों से शिकायतें आ रही है कि तुम क्लास और स्कूल परिसर में गुटखा-पाऊच खाते हो । क्या यह सच है ? जवाब दो ।"
थोड़ी चुप्पी के बाद वह साहस जुटाकर बोला-" सॉरी सर , बट आज के बाद कभी नहीं खाऊँगा । प्रॉमिस सर !"
" ओके ! सीट डाउन एण्ड मैण्टेन यूअर एटीकेट्स । अब सभी बुक निकालकर रीडिंग शुरू करें ।" पूरी क्लास लेसन रीडिंग में तल्लीन हो गई । थोड़ी ही देर में सर ने पेन में से रिफिल निकाली और कान से मैल निकालने लगे । जेब से सुपारी के दाने निकाले और चबाने लगे । कुछ लड़के अपने पास बैठे साथी को कोहनी मारकर सर कि ओर इशारा कर रहे थे ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 788

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on November 15, 2017 at 2:20pm
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब, शिक्षक शिक्षा का दाता ही नहीं अपितु पूरे समाज का चरित्र भी होता है । समाज में सबसे ज़ियादा सम्मान का पात्र भी शिक्षक ही होता है । अगर शिक्षक ही पूरी लत से ग्रसित रहेगा तो फिर बच्चों पर क्या असर होगा । समाज में वैसे भी आदर्शों का लोप होता जा रहा है । रचना पर बेहतरीन टिप्पणी देकर सार्थक बनाने का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by नाथ सोनांचली on November 15, 2017 at 2:05pm
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, बेहद उम्दा लघुकथा, यह सच है कि दुनिया तो सभी बदलना चाहते है लेकिन खुद को बदलना कोई नहीं, लोग औरो में कमीं निकाल लेते है जबकि खुद के दोष को नहीं देख पाते, और एक शिक्षक के लिए तो यह और महत्वपूर्ण हो जाता है क्योकि वह पथप्रदर्शक होता है। पुनः बधाई आपको। सादर
Comment by Mohammed Arif on November 15, 2017 at 8:21am
सटीक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी ।
Comment by vijay nikore on November 14, 2017 at 7:10pm

आज के माहोल में शिक्षक का role बहुत ही महत्वपूर्ण है, परन्तु इसको जानने के लिए, इस पर पूरा उतरने के लिए शिक्षक को भी शिक्षा की ज़रूरत है.. । आपने इस लघु कथा द्वारा बहुत कुछ सोचने को दिया है। हार्दिक बधाई, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Mohammed Arif on November 14, 2017 at 2:38pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय आशुतोष जी । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 14, 2017 at 1:45pm

आदरणीय आरिफ जी बहुत ही शानदार कटाक्ष किया है आपने इस रचना के माध्यम से ..सिखाने वाला जब तक खुद नहीं बदलेगा तब तक किसी परिवर्तन की उम्मीद करना बेमानी है रचना पर हार्दिक बधाई के साथ सादर 

Comment by Mohammed Arif on November 13, 2017 at 6:32pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आपकी सटीक टिप्पणी से लेखन सार्थक हो गया । बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on November 13, 2017 at 3:21pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,हमेशा की तरह एक उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on November 13, 2017 at 11:02am
आदरणीय विजय शंकर जी आदाब,
कथा के निरपेक्ष अनुमोदन और हौसला अफजाई

का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Mohammed Arif on November 13, 2017 at 8:33am
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,
आजकल गंदी राजनीति ने सबकी मानसिकता का दिवाला निकाल दिया है । समज में आदर्शों का अकाल पड़ा है । कोई बेहतर आदर्श नज़र ही आ रहे । अभी पिछले दिनों कई बाबाओं के चरित्र सामने आए । ये चरित्र किस ओर संकेत करते हैं । इनसे हमारे बच्चें क्या सीख लेंगे । समाज की रीढ़ शिक्षा है । सबसे ज़ियादा भरोसा शिक्षक पर किया जाता है । बच्चे सबसे बड़ा रोल मॉडल अपने शिक्षक को ही मानते हैं मगर आज देखने में आता है कि शिक्षक का आचरण ही ठीक नहीं ।
कथा का अनुमोदन और निरपेक्ष भाव से सटीक टिप्पणी देने का बहुत-बहुतत्रदिली शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service