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 नाराज़गी है कैसी भला ज़िन्दगी के  साथ.
 रहते हैं ग़म हमेशा ही यारों खुशी के साथ
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नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के साथ.
 दिल में उतर  गया वो बड़ी सादगी के साथ
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 माना कि लोग जीते हैं हर पल खुशी के साथ.
 शामिल है जिंदगी में मगर ग़म सभी के साथ
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 आएगा मुश्किलों में भी जीने का फ़न तुझे.
 कूछ दिन गुज़ार ले तू मेरी जिंदगी के साथ
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 ख़ून-ए- जिगर निचोड़ के रखते हैं शेर में.
 यूँ ही नहीं है  प्यार हमें   शायरी के साथ 
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 अच्छी तरह से आपने जाना नहीं जिसे.
 यारी कभी न कीजिये उस अजनबी के साथ
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 मुश्किल में कैसे जीते हैं यह उनसे पूछिये.
 गुज़रा है जिनका वक़्त सदा मुफलिसी के साथ
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 उसपे  ना  एतबार   कभी  कीजिए  " रज़ा .
 धोका किया है जिसने हर एक आदमी के साथ
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 मौलिक एवं अप्रकाशित
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