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शट अप
ओफ्फ हो ! क्या माँ आप हरदम ज़ोर-ज़ोर से बोलती हो । ये गाँव नहीं है ,वीआईपी कॉलोनी है । यहाँ सभी वेल एजुकेटेड लोग रहते हैं ,धीमे स्वर में बोलते है । वेल कल्चर हैं यहाँ , वेल कल्चर समझी ।"
" मगर मुझे एक बात समझ में नहीं आई। जब से यहाँ आई हूँ देख रही हूँ कि कोई किसी से बतियाता है न बातचीत करता है । क्या यहाँ की वेल कल्चर है ?"
" शट अप !!"
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 8:37pm
आपकी उत्सासजनक टिप्पणी से रचनात्मक संबल मिला आदरणीय विजय निकोर जी । बहुत-बहुत आभार आपका ।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 1, 2017 at 8:37pm

जनाब आरिफ साहब  , खूबसूरत लघुकथा के लिए दिली मुबारक़बाद 

Comment by vijay nikore on November 1, 2017 at 8:31pm

बात तो यह है कि इस "वेल क्ल्चर" ने इनसानियत से भी हमारा किनारा करा दिया है।

इतनी अच्छी, इतनी प्रभावमय लघुकथा .. सोचा नहीं था कि संभव है ... आपकी लिखी

छोटी गज़ल की तरह । हार्दिक बधाई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 8:20pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,आपकी सरल, निरपेक्ष और सटीक समीक्षात्मक टिप्पणी का ही इंतज़ार था मुझे । टिप्पणी पाकर अपनी लघुकथा को सफल समझ रहा हूँ । आपकी नज़रे इनायत का बहुत-बहुत शुक्रिया । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 1, 2017 at 5:12pm
मुसीबत तो यही है न कि मशीनी जीवन की विकृतियों को, विसंगतियों को ही अच्छा या आधुनिक कल्चर माना जा रहा है! न अदब, न तहज़ीब; परम्परा-आचरण अजीब! बेहतरीन कटाक्ष और चित्रण के साथ विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब। सामान्य परिवारों के लोगों ने ऐसी वीआईपी कालोनियों में रहने वाले रिश्तेदारों और दोस्तों के रहस्मय-महल रूपी घरों में जाना बंद या कम कर दिया है।
Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 5:04pm
आदरणीय मोहित जी आदाब, बस यूँ ही टूटी-फूटी लघुकथाएँ लिख लेता हूँ। कथा पर अनुमोदन का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 3:20pm
रचना को अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया देने और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीय आशुतोष जी ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 1, 2017 at 2:58pm

आदरणीय आरिफ जी  आज के कल्चर का बखूबे चित्रण किया है आपने अत्यंत सधे और कम शब्दों में इस  रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 2:28pm
अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी ।
Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 2:26pm
रचना पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी ।

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