For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खेल दिल का अजीब होता है.....संतोष

फ़ाइलातून मफ़ाइलुन फेलुन

खेल दिल का अजीब होता है
कौन किसके क़रीब होता है

प्यार मिलता,किसी को रुसवाई
अपना अपना नसीब होता है

काम आए बुरे समय में जो
वो ही सच्चा हबीब होता है

प्यार है जिसके पास वो इंसां
इस जहाँ में ग़रीब होता है

राज़ जिसको बता दिया दिल का
वो ही मेरा रक़ीब होता है
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on November 18, 2017 at 10:24am

शुक्रिया ताई ..... 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 30, 2017 at 9:04pm

प्यारी ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय संतोष जी , हार्दिक बधाई |

Comment by santosh khirwadkar on October 29, 2017 at 12:35pm
शुक्रिया ,चरण स्पर्श आदरणीय समर साहब ...
Comment by Samar kabeer on October 29, 2017 at 12:33pm
जनाब आशुतोष जी,बृजेश जी,
'प्यार है जिसके पास वो इंसां
इस जहाँ में ग़रीब होता है'
इस शैर के भाव शायद ये हैं कि,प्यार अमीरों के पास नहीं मिलता,ये ग़रीब के पास ही मिलेगा,जिसके पास प्यार होता है वो बज़ाहिर दुनिया में ग़रीब होता है ।
Comment by Samar kabeer on October 29, 2017 at 12:27pm
जनाब संतोष जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by santosh khirwadkar on October 29, 2017 at 12:20pm
शुक्रिया आदरणीय ब्रिजेश जी
Comment by santosh khirwadkar on October 29, 2017 at 12:19pm
हृदय से धन्यवाद आदरणीय आरिफ़ साहब!!!
Comment by santosh khirwadkar on October 29, 2017 at 12:18pm
शुक्रिया आदरणीय आशुतोष जी ...आप की असहमति का भी दिल से स्वागत!!!
Comment by Afroz 'sahr' on October 29, 2017 at 12:17pm
आदरणीय संतोष जी इस रचना पर बधाई आपको,,
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 29, 2017 at 12:03pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय..प्रेम तो अनमोल है..आदरणीय मिश्रा जी से सहमत हूँ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service