For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


माँ के निकाले हुए पुराने बर्तन बेचकर दीपावली त्योहार के लिए जरूरी सामान की सूची अनुसार पिताजी बाजार से पूजा का सामान, छोटे-छोटे पाँच फल, दो गन्ने, पाँव लड्डू-जलेबी, फूले-पतासे, लक्ष्मी जी का पाना, और रुई लाकर सामान माँ को देते हुए पूछा 21 की जगह 11 दीपक ही ले आता हूँ । इस पर माँ बोली -"मेरे पीहर के गांव कुंडा से कुम्हार आया था जो कल मना करने पर भी 21 दीपक रख गया है और पूछने पर भी रुपये नही बताये । अब उसे रुपये भाई-दूज के बाद दे आऊंगी । इस बार तो 21 दीपक ही जलाएंगे । अड़ोसी-पड़ौसी के चौखट पर भी तो दीपक रख उजियारा करना है"।

बात जारी रख माँ ने पिताजी से कहा -"मैंने छुटकू को प्रदूषण के बारे में समझाकर दो फुलझड़ी के पैकेट लिए राजी कर लिया है । मैं उसकी पुरानी कमीज रंगरेज को दे आयी थी, पाँच रुपये देकर वह ले आओ तो उसे पूजा के समय पहना देंगे । त्योहार पर नई कमीज समझ खुश हो जाएगा"।

(मौलिक व अप्रकाशित )

लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

Views: 929

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 24, 2017 at 11:46am

लघुकथा पर सम्बल प्रदान करती आपकी टिपण्णी से प्रयास को बल मिला | हार्दिक आभार आपका श्री बृजेश कुमार 'ब्रज' जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 24, 2017 at 11:25am

लघुकथा सराहने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया कांता राय जी |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2017 at 10:59am

लघुकथा सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री महेंद्र कुमार जी | आपका सुझाव भी सराहनीय है साहब ! मेरा सोच इतना ही था कि आजकल स्वच्छता और प्रदुषण शब्द से बच्चा बच्चा वाकिफ हो चुका है | फिर भी आपके सुझाव अनुसार संशोधन करना उचित जान पड़ता है | सादर नमन 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2017 at 10:42am

लघुकथा सराहने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया नीता कासर जी | सादर नमन 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 22, 2017 at 10:07am
बड़ी सुंदरता से सामाजिक विषमताओं का चित्रण किया है आदरणीय...
Comment by Mahendra Kumar on October 22, 2017 at 10:05am

आ. लक्ष्मण रामानुज जी, इस अच्छी और संवेदनशील लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. 

//"मैंने छुटकू को प्रदूषण के बारे में समझाकर दो फुलझड़ी के पैकेट लिए राजी कर लिया है । // मुझे लगता है कि इस संवाद में प्रदूषण शब्द कुछ भारी है. यदि इसे इस तरह ""मैंने छुटकू को पटाखों से होने वाले नुकसान के बारे में समझाकर दो फुलझड़ी के पैकेट लिए राजी कर लिया है।" कर दिया जाए तो कैसा रहेगा? देख लीजिएगा. सादर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2017 at 10:05am

लघु कथा सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका डॉ. विजय शंब्कर जी, सादर नमन

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2017 at 10:02am

आपकी प्रेरक प्रतिक्रया से उत्साहवर्धन हुआ है | हार्दिक आभार आदरणीय शेख सहजाद उस्मानी भाई | दीपोत्सव पर्व की आपको भी बहुत बहुत बधाई | सादर नमन

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2017 at 10:00am

लघुकथा सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका जनाब समर कबीर साहब | सादर नमन

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2017 at 9:59am

अतिशय आभार आपका श्री सलीम रजा रेवा जी |सादर नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service