For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - जो मुद्दत से मुझे पहचानता है

1222 1222 122
मेरी पहचान को खारिज़ किया है ।
जो मुद्दत से मुझे पहचानता है ।।

खुशामद का हुनर बख्सा है रब ने ।
खुशामद से वो आगे बढ़ रहा है ।।

जतन कितना करोगे आप साहब ।
ये भ्रष्टाचार अब तक फल रहा है ।।

यकीं होता नही जिसको खुदा पर ।
वही इंसां खुदा से माँगता है ।।

उन्हें ही डस रहें हैं सांप अक्सर ।
जो सापों को घरों में पालता है ।।

गया मगरिब में देखो आज सूरज ।
पता वह चाँद का भी ढूढता है ।।

मदारी के लिए जो है कमाऊ। वही बन्दर हमेशा नाचता है ।।

गरीबी में हुआ जीना है मुश्किल ।
कोई बाबा को बेटी बेचता है ।।

नई सूरत को अक्सर ढूढते हैं। यही इंसानियत का फलसफा है ।।

है उनका दूर ही रहना मुनासिब । कहाँ उन से हमारा वास्ता है ।।

न जाने क्या हुआ है आदमी को । पराये माल को ही देखता है ।।

--- नावीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 907

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पंकजोम " प्रेम " on September 15, 2017 at 2:58pm
वाह भाई जी वाह बेहतरीन ग़ज़ल , ख़ूब

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 15, 2017 at 10:40am

आदरनीय नवीन भाई < अच्छी गज़ल कही है हार्दिक बधाइयाँ । बाक़ी सब कुछ आ. समर भाई कह ही चुके हैं ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 14, 2017 at 10:49pm

सादर धन्यवाद् आदरणीय , एक निवेदन है इस ग़ज़ल को हो सके तो दुबारा से पंक्तिबद्ध लिखें | सादर |

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 14, 2017 at 7:44pm
आदरणीया कल्पना भट्ट जी इस पंक्ति में मेरा दर्शन है जिसे आप आंख बंद करके महसूस कर सकती हैं । जो सर्व शक्तिमान है जो सबका पालन हार सर्व ज्ञाता है उसे मेरा हर दुःख दर्द पता है । यदि हम उससे अपनी समस्या कहते हैं या कुछ मांगते हैं तो यह मेरी नादानी ही होगी । खुदा से मांगने का अर्थ है कि कहीं न् कहीं उसके मर्मज्ञता की उपेक्षा कर रहे हैं । अरे जो सर्व ज्ञाता है उसे हम अपना दुख बताएं तब वो समझेगा । इसका मतलब हमे ईश्वरीय सत्ता पर यकीन ही नहीं है ।
Comment by Niraj Kumar on September 14, 2017 at 4:47pm

आदरणीय नवीन जी, हार्दिक आभार. आप की इच्छा का सम्मान आवश्य करता मगर अफ़सोस कि मैं शायर नहीं हूँ.

सादर 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 14, 2017 at 4:22pm

यकीं होता नही जिसको खुदा पर ।
वही इंसां खुदा से माँगता है ।।

आदरणीय ग़ज़ल को अभी समझ ने कोशिश कर रहीं हूँ , यहाँ आप क्या कहना चाह रहे है नहीं समझ पायी हूँ कृपया बताने का कष्ट करें ? उम्मीद है आप बुरा न मानेंगे सर |

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 13, 2017 at 8:11pm
आ0 नीरज कुमार भाई सुना है आप कुशल आलोचक हैं । आप मेरी ग़ज़ल तक आये इसके लिए धन्यवाद । मेरी इच्छा है आप भी अपनी दो चार ग़ज़लें पोस्ट करें जिससे मैं भी कुछ सीखूँ ।
Comment by Niraj Kumar on September 13, 2017 at 5:19pm

आदरणीय नवीन जी,

अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद .

आपके पास वह सब कुछ है जो एक बेहतर ग़ज़लकार के लिए जरूरी है. जरूरत है तो थोड़े से काव्य संयम की. एक बेहतर ग़ज़लकार अपनी ग़ज़ल का बेहतर सम्पादक भी होता है. ग़ज़ल में कौन सा शब्द, पंक्ति, या शेर रखा जाय या न रखा जाय इसका विवेक बहुत आवश्यक है. 

सादर  

Comment by Afroz 'sahr' on September 13, 2017 at 10:43am
आदरणीय नवीन जी आपने समर कबीर साहब के बारे में शत प्रतिशत सही कहा है! और आपके बक़िया दुआइया जुमलों पर 'आमीन ' कहता हूँ!
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 13, 2017 at 9:25am
भाई अफ़रोज़ सहर साहब कबीर सर का मैं मुरीद हैहू । ऐसे उस्ताद आज दुर्लभ हैं । कितना भी सोच के लिखूँ कबीर साहब की दृष्टि से गलती कभी बच नहीं पाती । कबीर साहब को खुदा लम्बी उम्र दे जिससे साहित्य की सेवा हो सके ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service