For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सियासत मुल्क़ की यारों लहू पीने की आदी है
निवाला छीन भूखों का पहनती आज खादी है
किसे अच्छा कहूँ मैं अब सभी का हाल इक जैसा
बना है रहनुमा वो आज जो खुद ही फ़सादी है |1|

अगरचे दिल सियासत से बहुत नाशाद है अपना
नहीं लगता दयार-ए-हिन्द ये आबाद है अपना
उठेगी गर वतन में अब किसी निर्दोष की मय्यत
कहेगा कौन किस मुंह से वतन आज़ाद है अपना |2|

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 677

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on August 22, 2017 at 4:34pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम, प्रोत्साहन के लिए आभार
Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 6:31pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छे मुक्तक लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।
पहले मुक्तक की पहली पंक्ति में 'लहूँ'को "लहू" कर लें ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 21, 2017 at 12:59pm
आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन के लिए आभार
Comment by vijay nikore on August 21, 2017 at 9:47am

अच्छे मुक्तक के लिए बधाई, सुरेन्द्र जी

Comment by नाथ सोनांचली on August 21, 2017 at 5:19am
आद0 लक्ष्मण धामी जी आपको मुक्तक अच्छे लगे, लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका।
Comment by नाथ सोनांचली on August 21, 2017 at 5:17am
आद0 मोहित मिश्रा जी मुक्तक पसंद आये, लेखन सार्थक हुआ, आभार
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2017 at 9:12pm
आ. भाई सुरेन्द्र जी सुंदर मुक्तक हुए हैं हर्दिक बधाई ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 20, 2017 at 3:27pm
आद0 भाई मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, आपकी प्रतिक्रिया पाकर आश्वस्त हुआ, लेखन सार्थक लगने लगा। आभार आपका
Comment by Mohammed Arif on August 20, 2017 at 10:20am
आदरणीय सुरेंद्र जी आदाब, सियासत के चरित्र को उजागर करते बेहतरीन मुक्तक । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service