For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये जो इंसान आज वाले हैं (एक ही रदीफ़ पर दो गज़लें ---'राज')

2122  1212  22

(१)

 ये जो इंसान आज वाले हैं

कुछ अलग ही मिजाज वाले हैं

 

रास्तों पर अलग अलग चलते  

एक ही ये समाज वाले हैं

 

दस्तख़त से बनें मिटें रिश्तें   

कागजी ये रिवाज वाले हैं

 

रावणों की मदद करें गुपचुप

लोग ये रामराज वाले हैं

 

रोज खबरों में हो रहे उरियाँ

ये बड़े लोकलाज वाले हैं

 

मुंह छुपाते विदेश में जाकर  

जो  बड़े कामकाज वाले हैं

 

भूख होती है क्या वो क्या जानें   

वो जो  मोटे अनाज वाले हैं

 

 

(२ )

 

काम तो चालबाज़  वाले हैं

नाम  उनके फ़राज़ वाले हैं

 

आज फलफूलते वही रस्ते

वो भले  एतराज़  वाले हैं

 

अब परस्तार भी बटे देखो

ये भजन ये नमाज़  वाले हैं

 

कश्तियों को न रास्ता देते

ये जो चौड़े जहाज़  वाले हैं

 

कारनामे छपें सदा जिनके

वो कहें हम लिहाज़ वाले हैं 

 

देश भर में अलापते फिरते

खोखले वो जो साज़ वाले हैं

 

काम  यकदम करें भला कैसे  

उनके ओहदे तो नाज़ वाले हैं

मौलिक एवं अप्रकाशित  

Views: 1061

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 11:14am

आद० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी ,  आपको  गज़लें पसंद आई  मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 11:13am

आद० C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi जी ,  आपको  गज़लें पसंद आई  मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 11:11am

आद०   बृजेश कुमार 'ब्रज जी,  आपको  गज़लें पसंद आई  मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 11:09am

मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ जी ,आपने ग़ज़ल के अशआर की गहराई में जाकर जो अपनी प्रतिक्रिया दी है उससे मैं बहुत अभिभूत हुई आपको   गज़लें पसंद आई  मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 11:05am

आद० सुरेन्द्र नाथ सिंह भैया ,आपको  गज़लें पसंद आई  मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 11:05am

आद० रवि भैया ,आपको  गज़लें पसंद आई  मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 11:04am

आद० गजेन्द्र श्रोत्रिय जी ,आपको  गज़लें पसंद आई  मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 11:02am

आद० गिरिराज जी ,आपको गज़लें पसंद आई  मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |कुछ व्यवस्तता तथा नेट उपलब्ध न होने के कारण प्रतिक्रियाओं पर उत्तर  देने  में देरी हुई इसका खेद है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 11:01am

मोहतरम समर भाई जी,आपकी प्रतिक्रिया ने  ग़ज़लों को सार्थक कर दिया  दिल  से बहुत बहुत आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2017 at 10:59am

आद० उस्मानी जी,आपको गज़लें पसंद आई ग़ज़ल के मर्म से अपनी सहमति जताई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |कुछ व्यवस्तता तथा नेट उपलब्ध न होने के कारण प्रतिक्रियाओं पर उत्तर  देने  में देरी हुई इसका खेद है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service