For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल इस्लाह के लिए (गुरप्रीत सिंह)

2122 -1212 -22


आस दिल में दबी रही होगी
और फिर ख़्वाब बन गई होगी।

टूट जाए सभी का दिल या रब
दिलजले को बड़ी ख़ुशी होगी।

ज़ह्न हारा हुआ सा बैठा है
दिल से तक़रार हो गई होगी।

जिसकी खातिर लुटा दी जान उसने
चीज़ वो भी तो कीमती होगी।

जब मुड़ा तेरी ओर परवाना
शमअ बेइन्तहा जली होगी।

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 1047

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 11, 2017 at 8:57pm
सतकारयोग सुशील सरना जी...तुहानू कोशिश पसंद आई..सानू तसल्ल्ली होई ..बहुत बहुत धन्नवाद
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 11, 2017 at 8:51pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 11, 2017 at 8:45pm

वाह वाह ------ मुझे तो कोई  कमी नहीं लगी .गुनीजन अपना  मत  दें . सादर .

Comment by Samar kabeer on July 11, 2017 at 6:49pm
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
एक निवेदन ये है कि कृपया मंच को अपनी सक्रियता से लाभान्वित करें,ये हमारी ज़िम्मेदारी है ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 11, 2017 at 3:37pm
आदरणीय खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई
Comment by Ravi Shukla on July 11, 2017 at 2:20pm

आदरणीय गुरप्रीत जी छोटी बहर में अच्‍छे शेर निकाले आपने।गजल के मुकाबले मतला थोड़ा और बेहतर हो सकता है। दूसरे शेर में अच्‍छा अंदाज  है बददुआ देने का :-) मुबारक बाद पेश है । सादर

Comment by Sushil Sarna on July 11, 2017 at 2:16pm

आस दिल में दबी रही होगी
और फिर ख़्वाब बन गई होगी।

वाह आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी बहुत सुंदर अशआर कहे हैं आपने। ऐनी सोणी ग़ज़ल वास्ते तुहानू लख लख वधाईयां।

Comment by Mohammed Arif on July 11, 2017 at 2:09pm
आदरणीय गुरप्रीत जी आदाब,छोटी बह्र की प्यारी सी ग़ज़ल । हर शे'र बेतरीन , लाजवाब है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । गुणीजन इस्लाह करेंगे । इंतज़ार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service