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तरही ग़ज़ल (कुछ नही है हाथ मे बस फ़लसफ़ा रोशन करें)

बह्र 2122 2122 2122 212

ज़िन्दगी की राह मुश्किल हौसला रोशन करें
हर गली हर रास्ते पर हम दिया रोशन करें ||

ऐ ख़ुदा बर्कत की ख़ातिर भेज दे महमाँ कोई
अपने दस्तर ख़्वान पर हम ये दुआ रोशन करें ||

हुस्न वाले भी निखर जायेंगे मोती की तरह
गर नुमाइश छोड़ कर शर्म-ओ-हया रोशन करें ||

दूसरों से पूछना क्या हर कमी दिख जाएगी
आप अपने दिल का बस ये आइना रोशन करें ||

हैं यहाँ तनहाइयाँ और वक़्त की मजबूरियाँ
कुछ नही है हाथ मे बस फ़लसफ़ा रोशन करें ||

वक़्त जब विपरीत हो, जिंदा रखे बस धैर्य को
*इक दिया जब साथ छोड़े दूसरा रोशन करें ||*

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2017 at 9:48am

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है ... बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on May 14, 2017 at 10:11pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by नाथ सोनांचली on May 14, 2017 at 2:44am
आद0 ब्रजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन, हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 13, 2017 at 10:21pm
वाह वाह आदरणीय क्या ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई..हार्दिक बधाई
Comment by नाथ सोनांचली on May 13, 2017 at 12:23pm
आद0 शिज्जू शकूर जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपके आशीष और हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार।

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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 13, 2017 at 11:16am

इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आ. सुरेंद्र नाथ जी

Comment by नाथ सोनांचली on May 13, 2017 at 10:31am
आद0 अनुराग वशिष्ट जी सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई के किये हृदय तल से आभार। विचारो को मान देने के लिए अतिशय आभार।
Comment by नाथ सोनांचली on May 13, 2017 at 4:25am
आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन, मैं सुरेन्द्र नाथ सिंह हूँ , आपसे नाम लिखने में थोड़ा भ्रम हुआ शायद।

आपकी हौसला अफजाई के लिए हृदय की गहराइयों से आभार।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 12, 2017 at 9:32pm

मुह्तरम जनाब सुरेन्द्र . कुमार  . साहिब, बहुत ही अच्छी ग़ज़ल हुई है दाद और,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ----

Comment by नाथ सोनांचली on May 12, 2017 at 8:53pm
आद0 नीलेश भाई जी सादर अभिवादन, आपके ग़ज़ल पर उपस्थिति और हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार

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