For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख्वाब भी तेरा सताता है मुझे

एक ग़ज़ल का प्रयास

२१२२ २१२२ २१२

 

नींद में आकर सताता  है मुझे

ख्वाब भी तेरा जगाता है मुझे

 

झूमती आती घटायें बदलियाँ,

प्यार का मौसम बुलाता है मुझे

 

सर्दियों में सूर्य भाया था बहुत,  

गर्मियों में अब  तपाता है मुझे

 

प्रार्थना तुमसे मिलन की, की तो है,

देखिए प्रभु कब मिलाता है मुझे

 

साथ मेरा आप दोगे या नहीं,

प्रश्न ये हर पल डराता है मुझे

 

मुश्किलें हैं जिन्दगी में, राह भी,

हौसला जीना सिखाता है मुझे

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 10, 2017 at 1:02pm

आदरणीय Ravi Shukla जी आपका सुझाव निश्चित ही अनुकरणीय है, मैंने सुधर कर लिया है, नमन आपको 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 10, 2017 at 1:01pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया, आपको ग़ज़ल पसंद आई 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 10, 2017 at 1:00pm

 आपकी समीक्षा और सुझाव से संबल मिला आदरणीय Samar kabeer जी, मंच में आप सभी विद्वान जनों की राय बहुत मायने रखती है , इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिये, सादर नमन 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 9, 2017 at 8:26pm
सर्दियों में सूर्य भाया था बहुत,
गर्मियों में अब तपाता है मुझे..वाह आदरणीय उम्दा ग़ज़ल हुई..सादर
Comment by Samar kabeer on May 9, 2017 at 6:59pm
जनाब बसन्त कुमार शर्मा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
इस्लाह भी अच्छी मिली है ।

'प्रार्थना तुम से मिलन की,की तो है'
इस मिसरे में दो बार 'की'शब्द खटक रहा है,इस मिसरे को यूँ कह सकते हैं :-
'प्रार्थना की तुमसे मिलने की बहुत'
इसी तरह ये मिसरा :-
'मुश्किलें हैं ज़िन्दगी में,राह भी'
इस मिसरे को यूँ कहें तो साफ़ हो जायेगा:-
'मुश्किलें हैं ज़िन्दगी की राह में'
Comment by Ravi Shukla on May 9, 2017 at 3:23pm

आदरणीय बसंत जी अच्‍छी गजल हो गई है बधाई अशआर बार बार पढ़े आपको स्‍वयं ही संशोधन दिखने लगेंगे जैसे

आखिरी शेर में हमें तो शब्‍द की कमी लगी 

मुश्किलें है जीस्‍त में तो राह भी

हौसला जीना सिखाता है मुझे  एक त्‍वरित सुझाव मात्र है । सादर

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 9, 2017 at 10:06am

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आपकी सटीक समीक्षा से अभिभूत हूँ, प्रयास करता हूँ और चमकाने का, इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें, सादर नमन आपको 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 9, 2017 at 10:00am

आ. बसन्त जी,

ग़ज़ल के लिये बधाई ...
मतला एकदम सपाट है ...

नींद में आकर जगाता है मुझे

ख्वाब भी तेरा सताता है मुझे........
इसे यूँ कहें तो कैसा रहे...
.

नींद में आकर सताता  है मुझे

ख्वाब भी तेरा जगाता है मुझे....
बात वही है ,,,बस अंदाज़ अलग है .... और ये अंदाज़ ही ग़ज़ल को ग़ज़ल बनाता है...
यदि सहमत हों तो अन्य मिसरों को भी यूँ ही जाँचिये, घिसिये चमकाइये ..
सादर 

 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 9, 2017 at 9:27am

 आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपके आशीष को सादर नमन, इसी तरह स्नेह बनाये रखें  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2017 at 9:20am

आदरणीय बसंत भाई , बहुत अच्छी गज़ल क्कही है .... दिल से बधाइयाँ प्रेषित हैं ... स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service