For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - ज़रा सी देर में सूरज निकलने वाला

१२१२/ ११२२/ १२१२/ २२

अँधेरों!! “नूर” ने जुगनू अभी उछाला है,
ज़रा सी देर में सूरज निकलने वाला है.
.
बिदा करेंगे तो हम ज़ार ज़ार रोयेंगे,
तुम्हारे दर्द को अपना बना के पाला है. 
.
नज़र भी हाय उन्हीं से लड़ी है महफ़िल में,
कि जिन के नाम का मेरे लबों पे ताला है.  
.
शजर घनेरे हैं तख़लीक़ में मुसव्विर की
सफ़र की धूप ने उस पर असर ये डाला है.  
.
निकल के कूचा-ए-जनां से आबरू न गयी,
लुटे हैं सुन के हमें दिल से भी निकाला है. 
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 955

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 8:09am

शुक्रिया आ. महेंद्र जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 8:09am

धन्यवाद आ. गुरप्रीत सिंह  जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 8:09am

धन्यवाद आ. डॉ आशुतोष जी 

Comment by Mahendra Kumar on May 4, 2017 at 8:06pm

बिदा करेंगे तो हम ज़ार ज़ार रोयेंगे, तुम्हारे दर्द को अपना बना के पाला है... वाह! क्या शेर कहा है आपने। बहुत पसंद आया। इस उम्दा ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ० निलेश जी। सादर।  

Comment by Gurpreet Singh jammu on May 4, 2017 at 10:27am

आदरणीय नीलेश सर जी बहुत ही शानदार और जानदार ग़ज़ल कही है आपने,,,सभी अशआर दिल को छू लेने वाले
बिदा करेंगे तो हम ज़ार ज़ार रोयेंगे,
तुम्हारे दर्द को अपना बना के पाला है.

वाह वाह बहुत ही खूब

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 3, 2017 at 5:28pm

आदरणीय नूर जी बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हमेशा की तरह ..हर शेर शानदार है मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 3, 2017 at 3:42pm

शुक्रिया आ. रवि जी 

Comment by Ravi Shukla on May 3, 2017 at 11:40am

आदरणीय नीलेश जी बेहतरीन मतले से शुरू गजल ने अंत तक समा बनाए रखा बधाई स्‍वीकार करें

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 2, 2017 at 6:49pm

शुक्रिया आ. समर सर 

Comment by Samar kabeer on May 2, 2017 at 6:07pm
जनाब निलेश'नूर'साहिब आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया... सादर।"
7 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service