For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नख़्ल-ए-दिल रेगज़ार करना था-ग़ज़ल नूर की

नख़्ल-ए-दिल रेगज़ार करना था,
इक तसव्वुर ग़ुबार करना था.
.
तेरी मर्ज़ी!!! ये ज़ह’न दिल से कहे,
बस तुझे होशियार करना था.
.
वो क़यामत के बाद आये थे
हम को और इंतिज़ार करना था.
.
हाल-ए-दिल ख़ाक छुपता चेहरे से
जिस को सब इश्तेहार करना था.
.   
लुत्फ़ दिल को मिला न ख़ंजर को
कम से कम आर-पार करना था.
.
चंद यादें जो दफ़’न करनी थीं
अपने दिल को मज़ार करना था.
.
बारहा दुश्मनी!! अरे नादाँ .....
इश्क़ भी बार बार करना था.
.
शर्त यूँ थी सो हार आये हम,
पीठ पर उस की वार करना था.
.
“नूर” सच बोल कर है क्यूँ ज़िंदा,
उस को तो संगसार करना था.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 8:11am

धन्यवाद आ. महेंद्र जी 

Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 11:06am

किस शेर की तारीफ करूँ आदरणीय निलेश जी, सभी एक से बढ़कर एक हैं. इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर. 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 24, 2017 at 10:15am

शुक्रिया आ अनुराग जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2017 at 10:05am

शुक्रिया आ. गिरिराज जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2017 at 10:03am

आदरणीय नीलेश भाई , लाजवाब गज़ल कही है आपने .. शे र दर शेर बधाइयाँ स्वीकार की लिये ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 21, 2017 at 10:28pm

शुक्रिया आ. शिज्जू भाई 
आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 21, 2017 at 4:49pm

तेरी मर्ज़ी!!! ये ज़ह’न दिल से कहे,
बस तुझे होशियार करना था.
.
वो क़यामत के बाद आये थे 
हम को और इंतिज़ार करना था.//

वाह आ. निलेश भाई क्या खूब कहा आपने लाजवाब!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2017 at 3:18pm

शुक्रिया आ. रवि जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2017 at 3:18pm

शुक्रिया आ. समर सर 

Comment by Ravi Shukla on April 20, 2017 at 1:24pm

आदरणीय नीलेश जी बहुत बढि़या और लय बद्ध गजल कही आपने दिली मुबारक बाद हाजिर है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
13 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service