For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत लिखने का दुः साहस किया हू ,आप ही लोग बताएं कैसा लगा । पति -मिलन के पहले की स्त्रियोचित कल्पना , मगर उनके लिए नहीं जिनका लव -आफेयर चल रहा है


गीत -1
आज सजने की बेला है , सज लू सजन
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥

आ रही है , ये ख़ुशबू कहां से कहुं
गा रही है , ये लज्जा कहां से कहुं
गर जानते हो तुम तो , बताओ सजन
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥

पलकों की छावं में हू , कबसे बिठाये तुम्हें
जुल्फों की छाया भी ,कबसे निहारे तुम्हें
नाच रहा है मन मेरा , जैसे हिरन
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥

भूल गयी मैं अपना अतीत ,हो चली मैं अब तुम्हारे करीब
पुलकित है मेरा रोम -रोम ,आज जागा है मेरा नसीब
कड़कती है बिजली , जैसे हो सूर्य -किरण
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥

गोद भर देना मेरी , कहलाउगी माँ
नाचूगी, गाउगी , बाँधुगी समां
इतराएगा मन मेरा ,जैसे इठलाती पवन
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥
----------------बबन पाण्डेय

Views: 288

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 28, 2010 at 12:08pm
बबन भाई, बहुत अच्छा गीत लिखा है आपने, दिल से बधाई देता हूँ ! काफी जगह टाईपिंग की गलतियां थीं, उनको दुरुस्त करके आपका गीत नीचे लिख दिया है ! अगर मुनासिब समझें तो ब्लॉग एडिट करने इसको कापी पेस्ट कर लीजिएगा !


//आज सजने की बेला है , सज लूँ सजन
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥

आ रही है , ये ख़ुशबू कहां से कहूँ
गा रही है , ये लज्जा कहां से कहूँ
गर जानते हो तुम तो , बताओ सजन
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥

पलकों की छाँव में हूँ , कबसे बिठाये तुम्हें
जुल्फों की छाया भी ,कबसे निहारे तुम्हें
नाच रहा है मन मेरा , जैसे हिरन
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥

भूल गयी मैं अपना अतीत ,हो चली मैं अब तुम्हारे करीब
पुलकित है मेरा रोम -रोम ,आज जागा है मेरा नसीब
कड़कती है बिजली , जैसे हो सूर्य -किरण
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥

गोद भर देना मेरी , कहलाऊंगी माँ
नाचूगी, गाउगी , बाँधूंगी समां
इतराएगा मन मेरा ,जैसे इठलाती पवन
मन के साथ झूमे है, धरा और गगन ॥ //

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
31 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
32 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
32 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
34 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
35 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
50 minutes ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service