For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Baban pandey's Blog (78)

कलम तलवार नहीं है

हर जगह आग है, शोला है, कही प्यार नहीं है

सकून दे सके आपको,ऐसी कोई वयार नहीं है //



कितना संभल कर चलेंगे आप,अब गुल में

हर पेड़ अब खार है,कोई कचनार नहीं है //





हंसी मिलती है,अब सिर्फ तिजारत की बातों में

रिश्तों का महल बनाने, अब कोई तैयार नहीं है //



अश्क पोछना होगा अब आपको,अपने ही रुमाल से

पोछ दे आपका अश्क,अब ऐसा कोई फनकार नहीं है //



माँ ! लिखना भूल गई है अब मेरी कलम

शायद ,बेटे को अब माँ की दरकार नहीं है //



जी भर लूटो ,खाओ , इस… Continue

Added by baban pandey on July 1, 2011 at 11:59am — No Comments

मिटटी ,बांस और हम

मिटटी ...

नर्म होती है

जब गीली होती है

पक जाती है वह

जब आग पर

रंग ,रूप आकार नहीं बदलती //



बांस ...

जब कच्चा होता है

जिधर चाहो ,मोड़ दो

पक जाने पर

नहीं मुड़ेगा //



आदमी ...

कब पकेगा

मिटटी की तरह

बांस की तरह

शायद कभी नहीं क्योकि

दिल तो बच्चा है जी //…

Continue

Added by baban pandey on December 28, 2010 at 11:00am — 2 Comments

भेड़ चाल

माहिर होते है
भेड़ और गधे
एक लीक एक चलने में //

सुना है ---
अगर एक भेड़ कुए में गिरा
सब भेड़ उसी में गिरेंगे //

आज ----
कंक्रीट के जंगल में
रहनेवाला मानव
इसी भेडचाल की नक़ल तो कर रहा //

Added by baban pandey on December 19, 2010 at 5:49pm — 2 Comments

मैं राम को वनवास नहीं भेजना चाहता

नहीं नहीं ....
मैं दशरथ नहीं
जो कैकेयी से किये हर वादे
निभाता चलूँगा //

मैं .....
खोखले वादे करता हूँ तुमसे
मुझे
अपने राम को वनवास नहीं भेजना //

क्या हुआ
जो टूट गए
मेरे वादे
अपने दिल को
मोम नहीं
पत्थर बनाओ प्रिय //

Added by baban pandey on November 29, 2010 at 1:20pm — No Comments

अगर सजनी हो दिलदार

जैसे .......
पर्व -त्यौहार,
बना देते हैं,
हमारी जिन्दगी को,
मजेदार,

गरम - मसाले,
बना देते हैं,
सब्जियों को,
लज़्ज़तदार,

खिड़कियाँ,
बना देती हैं,
कमरे को,
हवादार,

ठीक वैसे ही,
अगर बच्चे हों समझदार,
और सजनी हो दिलदार,
तो,
सजन क्यों न बने,
ईमानदार ॥

Added by baban pandey on November 14, 2010 at 10:30am — 2 Comments

फूल और मैं

मैंने फूलों को तोड़ा
सुखा दिया रखकर उसे
किताबों के दो पन्नों के बीच
फिर पंखुड़ी -पंखुड़ी अलग कर दी
फिर पैरो से कुचल दिया ॥
मगर ....
खुशबू नहीं मरी ॥

एक मैं हूँ ..दोस्तों
किसी इंसान के
ज़बान से शब्द फिसले क्या
तूफ़ान मचा देता हूँ
तुरंत अपने को
हैवान बना लेता हूँ ॥

Added by baban pandey on October 28, 2010 at 11:35am — No Comments

मैं भी जड़ बनूगा

थकती नहीं
पेड़ की जड़ें
पानी की खोज में
छू ही लेती है
भूमिगत जलस्तर ॥
मरने नहीं देती
अपनी जिजीविषा ॥


बखूबी जानती है वह
हर पत्ते को
हरियाली ही देना है
उसका काम ॥

अब .....
नहीं थकूगा
मैं भी जड़ बनूगा॥

Added by baban pandey on October 27, 2010 at 6:59am — No Comments

सत्य कब्र से भी निकलकर दौड़ता है

राम थक चूके थे
रावण को बाण मारते -मारते
विभीषण ने बताया
उसकी नाभि में तो अमृत है
राम ने अमृत घट फोड़ दिया
रावण मारा गया ॥

तुम भी थक जाओगे
मेरे दोस्त !!!
सत्य को मारते -मारते
क्योकि ....
सत्य रूपी मानव के
अंग -अंग में अमृत -कलश है ॥

अगर , सत्य को
जिंदा भी दफ़न कर दोगे
मेरे दोस्त ... तो वह
कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥

Added by baban pandey on October 12, 2010 at 4:41pm — 3 Comments

प्रिय ! मेरी बात सुनो

आप प्रकृति की अनुपम रचना है

मगर ...

कृत्रिम प्रसाधनो का लेपन

बनावटीपन जैसा लगता है ॥

मैं आपको रंगना चाहता हूँ

प्रकृति के रंगों से ॥



मैं आपको देना चाहता हूँ

टेसू के फूलों की लालिमा

कपोलों पर लगाने के लिए ॥

मृग के नाभि की थोड़ी सी कस्तूरी

देह -यष्टि पर लगाने के लिए ॥

फूलों के रंग -बिरंगे परागकण

माथे की बिंदी सजाने के लिए ॥

और तो और

थोड़ी सी लज्जा मांग कर लाई है मैंने

आपके लिए

लाजवंती के पौधों से ॥



इसके… Continue

Added by baban pandey on October 1, 2010 at 9:10am — 3 Comments

आईये वाल्मीकिनगर बाघ अभ्यारण्य चलें

सहसा मेरी नज़र उस विज्ञापन पर पड़ी ,जिसमे क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी बता रहे थे ॥" सिर्फ १४११ बचे है "

उसके नीचे एक बाघ का फोटो ॥

जिन बाघों से हमारे दादा -दादी हमको डराते थे ,आज वे स्वम विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चूके है ॥

भारत में बाघों के संरक्षण एवं प्रजनन को लेकर " टाईगर प्रोजेक्ट " की शुरुयात सन १९७३ में की गई । अब तक देश भर में २७ बाघ अभ्यारण्य काम कर रहे है ॥ वर्ष २०००-२००१ तक भारत के कुल ३७,७६१ वर्ग किलोमीटर में यह फैला हुआ है ।

मुझे कहते हुए गर्व हो रहा है कि बिहार… Continue

Added by baban pandey on September 18, 2010 at 11:22am — No Comments

तुम्हें नरसिंह बनना होगा

तुम मुझे जो भी कह लो

सुन लूंगा चुपचाप

चाहे मुझे तुम

पाखंडी /देशद्रोही /बलात्कारी

व्यवस्थाओ को तोड़ने वाला

या फिर उग्रवादी विचारों वाला कह लो

तुम जानते हो /इन बातों से

मैं तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता ॥





भला , सिर्फ विचारों के प्रहार से

क्या बिगड़ेगा तुम्हारा

जरा ,..एक चोर को चोर कह कर देखो

कुरूरता के भयानक पंजे

चीथड़े -चीथड़े कर देगी तुम्हें

अरे ..छोड़ो ....

सच का सामना कितने लोग करते है ॥



जानता हूँ… Continue

Added by baban pandey on September 13, 2010 at 10:45pm — 5 Comments

गरीब के आंसू

कहते हैं
बड़ा दम होता है
गरीब की आंखों से
निकलने वाले आंसुओ में ॥
भष्म कर देते है
पत्थरो से बने महलों को ॥

ठीक उसी तरह
जैसे नदी का बहता
शीतल -कोमल जल
बालू कर देती है
तोड़ -तोड़ कर
पत्थरो को॥

Added by baban pandey on September 10, 2010 at 10:00am — 3 Comments

बंदरों को तो फंसना ही है

मित्रों ,यह कविता बिहार में अक्टूबर -नवम्बर २०१० में होने वाले चुनाव के परिपेक्ष्य में लिखा गया है ॥लालटेन

तीर ,हाथ और कमल ...विभिन्न राजनितिक दलों के चुनाव चिन्ह है //



आ गया मदारी

बजा रहा है डुगडुगी

बंदरों में होने लगी है सुगबुगी

अनेकों हैं नुस्खे

बंदरों को रिझाने के

नज़र डालिएगा इन पर जरा हंस के ॥



पिछली गल्तियाँ अब नहीं करूगाँ

सवर्णों को भी टिकट दूगाँ॥

अपने शाले ने भोंका था भाला

लगाने चला था मेरे ही घर में ताला

इसीलिए घर… Continue

Added by baban pandey on September 8, 2010 at 8:52am — 3 Comments

झूठ बोलने की जिद

यह जानते हुए
सच की खुशबू
एक दिन फैलेगी ही
उर्जा व्यर्थ गंवाते है हम
ढकने में उसे
झूठ की चादरों से ॥

सच वह ओस है
जिसे प्रत्येक दिन
झूठ का तमतमाता सूरज
गायब कर देता है ॥

मगर पुनः
कल सबेरे
सच का ओस
फिर हाज़िर हो जाता है
अपने चमकीले रूप में ॥

मेरे दोस्त ...
सच को परास्त करना नामुमकिन है
छोड़ दो जिद
झूठ बोलने की ॥

Added by baban pandey on September 4, 2010 at 5:00pm — 1 Comment

सरकारी बन्दूक

बन्दूक .....
एक भय है
एक डर है
लोगों को डराने की चीज है
मारने की नहीं ॥
इससे गोलीयाँ
शायद ही कभी निकलती हो ॥


जो इस बात को समझ गया
वह बन्दूक से नहीं डरता ॥
बल्कि ...
चाकू दिखाकर
छीन लेता है बन्दूक ॥

हमारे नक्सली
सरकारी बंदूकों की भाषा
अच्छी तरह पढ़ चूके है ॥

Added by baban pandey on September 4, 2010 at 2:00pm — 3 Comments

हड़ताल एक यज्ञ है

मित्रों ......
हड़ताल एक यज्ञ है
कर्मचारियों द्वारा लगाया गया नारा
घी और हुमाद
हडताली नेताओं के भाषण
वेदों के मंत्रोच्चार
उठने वाला धुयाँ
वार्ता के लिए बुलाया जाना
और मांगों को मनवा लेना
अभिस्ट की प्राप्ति ॥

चिल्ला रहा था
कर्मचारियों का नेता
इसलिए दोस्तों
जोर-जोर से नारे लगाओ ॥

जब लाल कोठी के निक्क्मो का वेतन
तिगुना हो सकता है ....
हमलोगों का क्यों नहीं ॥

Added by baban pandey on August 28, 2010 at 5:39pm — 2 Comments

युवा मन की ख्वाहिसे

लाखों पैदा हो रहे युवाओं में से

मैं भी एक युवा हू ॥



गन्ने के रस से नहा कर

और चासनी की क्रीम लगाकर

रोज सुबह -सुबह

बाहर निकलती है मेरी ख्वाबें॥

जब मैं अपने सारे सर्टिफिकेट

एक बैग में डाल कर

निकल पड़ता हू ...

साक्षात्कार के लिए ॥



खूब उडती है मेरी ख्वाबें

मानो कल ही खरीद लूँगा

पार्क स्ट्रीट में अपना एक बंगला

मारुती सुजुकी का डीजायर

सोनी बाओ का लैप -टॉप

ब्लैक -बेर्री का मोबाइल

और फिर चखने लगूगा

येलो चिली… Continue

Added by baban pandey on August 28, 2010 at 1:30pm — 2 Comments

कोई मुझे हँसायेगा क्या

मित्रों .....

मैं कई दिनों से नहीं हंसा हू ...

हँसना चाहता हू

पूरे शरीर की ताजगी के लिए

लाफ्टर क्लब ज्वाइन किया

कोई फायदा नहीं हुआ ॥



कोई क्यों हंसेगा ......

सांसदों के वेतन तीन गुना हो जाने पर

रास्ट्र्मंडल खेलों की बदहाली पर

महिला आरक्षण बिल पास न होने पर

अभिनेत्रियो के बिकनी क्विन बनने पर

बाप -बेटे के साथ पीने पर

ट्रेन के आमने -सामने टक्कर हो जाने पर

कसाब /अफजल को अभी तक फांसी न होने पर

पाकिस्तान को बाढ़ मदद के ५० लाख… Continue

Added by baban pandey on August 26, 2010 at 6:21pm — 4 Comments

वासनात्मक प्रेम

जब वे जवान थे

वासना कुलांचे भरती थी

एक बदमास हिरन की तरह ॥



उनकी छुअन तो दूर

सिर्फ .....

यादों का झोंका

ला देता था उनमें

नई ताकत /नई उर्जा

पूरा शरीर तरंगित हो जाता था ॥



वासना की नदी पर तैरना

उनका शगल था ॥



आज वे बूढ़े है

कहते है ....

गर्म साँसे

स्पंदित नहीं करती उन्हें

यादें ....तो बस

सूखे फूल की पंखुडियो की तरह

जमींदोज़ हो रही है

एक -एक कर ॥

आलिंगन से भी

रोम-रोम पुलकित नहीं होता… Continue

Added by baban pandey on August 23, 2010 at 10:17pm — 1 Comment

रावण बार -बार जिन्दा क्यों होता है

राम और रावण

दोनों बसते है ...

मेरे /आपके हृदय में ॥

दोनों में चलता रहता है ...

एक युध्ध ...अहर्निश ॥

कभी राम सबल होता है

तो कभी रावण ॥



सुबह उठता हू ...

नित्य क्रिया कर

भगवान् की मूर्ति के सामने

आरती गाता हू

धुप जलाता हू ....

तब मेरा राम सबल रहता है

भिखारी को दान देना अच्चा लगता है

वृद्ध माता -पिता पूजनीय लगते है

सबसे प्रेम से बातें करता हू ....



जैसे -जैसे दिन बीतता है ...

झूठ /धोखा /बेईमानी… Continue

Added by baban pandey on August 21, 2010 at 2:08pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
22 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service