For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पूंजियों की सीरतें भी काली गोरी देखिये(ग़ज़ल 'राज '

2122  2122  2122  212

कर की चोरी देखिये जी धन की चोरी देखिये

लूटकर पकड़े गये तो जब्रजोरी देखिये

 

नोट्बंदी देखिये जी नोट खोरी देखिये

पूंजियों की सीरतें  भी काली गोरी देखिये

 

नोट्बंदी का हथौड़ा ऐसा बैठा पीठ पर

भ्रष्टता की सरबसर टूटी तिजोरी देखिये

 

बह रहे हैं नोट सारे वो पुराने हर जगह

क्या समन्दर क्या नदी तालाब मोरी देखिये

 

लूटखोरी की बदौलत खत्म पैसे बैंक में

 लाइनों की टूटती अब आस डोरी देखिये 

 

कुछ जुगाडू  भेड़िये बैठे वतन में अबतलक

पास उनके अब नई नोटों की बोरी देखिये

 

कह रहे अखबार टीवी कह रही सरकार है

आने वाले वक़्त में तस्वीर कोरी देखिये

----------मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 869

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2016 at 10:34am

बहुत बहुत शुक्रिया अमिता तिवारी जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2016 at 10:33am

आद० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी ,आपको ये प्रस्तुति अच्छी लगी दिल से आभार आपका बहुत बहुत शुक्रिया  

Comment by amita tiwari on December 17, 2016 at 12:20am

वाह राजेश जी 

क्या बात कह दी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 17, 2016 at 12:05am
आदरणीया राज जी कमाल की रचना के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2016 at 5:09pm

आद० तेजवीर सिंह जी ,आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2016 at 5:09pm

आद० सुरेन्द्र नाथ जी,आपकी उत्साहित करती हुई प्रतिक्रिया हेतु आपके गज़ल पर अनुमोदन हेतु दिल से बहुत बहुत आभार | 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 15, 2016 at 12:29pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।बहुत उम्दा गज़ल।

Comment by नाथ सोनांचली on December 15, 2016 at 3:01am
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, समसामयिक और नोट बंदी के पृष्ठभूमि में एक क्या खूब गजल कही आपने, आपको लेखन को नमन, आपकी इस बेहतरीन गजल पर मेरी दाद के साथ बधाई निवेदित है।
Comment by Ravi Shukla on December 14, 2016 at 1:32pm

आभार आपका आदरण्‍ीया राजेश दीदी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 14, 2016 at 10:50am

आद० रवि शुक्ल भैया ,ग़ज़ल पर आपकी दाद व् इस्स्लाह दोनों का हार्दिक स्वागत है बहुत बहुत शुक्रिया |वैसे नई मैंने बोरी के लिए लिखा था किन्तु आपकी बात सही है संज्ञा से एक दम पहले विशेषण उसी के अनुसार होना चाहिए कई बार दैनिक बोलचाल की आदत के अनुसार हम व्याकरण से अनजाने में खिलवाड़ कर बैठते हैं जो नहीं करना चाहिए |नये नोटों की बोरी सही है इसे बाद में दुरुस्त कर लूँगी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
13 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
22 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
22 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service