For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - तफ़्सील में गये तो वो ख़ुद से ख़फ़ा मिले ( गिरिराज भंडारी )

221 2121   1221   212 

जो खोजते हैं रोज़ कोई मुद्दआ मिले

तफ़्सील में गये तो वो ख़ुद से ख़फ़ा मिले

 

नफरत मिली है देखिये नफरत से इस तरह  

मजबूरियों में तेल ज्यूँ पानी से जा मिले

 

हारे हुए मिलेंगे जहाँ खार कुछ तुम्हें
मुमकिन है उस जगह से मिरा भी पता मिले"  

 

हम दिल से चाहते हैं उन्हें दाद हो अता 

जो नेवले की जात हो, साँपों से जा मिले

 

बादल बरस के साथ ही ऐलान कर गया

क़िस्मत ही फैसला करे, अब तुझको क्या मिले

 

इंसान ही ज़मीन पे मिल जाये तो बहुत

चाहत नहीं है कोई मुझे देवता मिले

 

हर वक़्त मांगता है वफा , क्या तुझे हुआ ?

ये कौन चाहता है कि उसको गदा मिले

 ************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 783

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nirmal Nadeem on December 8, 2016 at 2:58am
बहुत खूब क्या बात है। वह वाह वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2016 at 10:50am

आदरणीय बड़े भाई विजय जी ,  सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by vijay nikore on December 6, 2016 at 7:30am

आज  यह पुन: पढ़ी, और यह खूबसूरत गज़ल और भी अच्छी लगी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2016 at 4:42pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2016 at 4:42pm

आदरणीय सुनील शाहाबादी भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 5, 2016 at 2:04pm

वाह वाह मजा आ गया आ० अनुज . 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 5, 2016 at 12:15pm
बेहद खूबसूरत शैर बन पड़े हैं दिली दाद कुबूल फरमाए जनाब गिरिराज साहिब।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2016 at 9:26pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 4, 2016 at 8:54pm

आदरणीय गिरिराज सर, बहुत शानदार ग़ज़ल कही है आपने. शेर-दर-शेर दाद कुबूल फरमाएं. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2016 at 11:05am

आदरणीय बड़े भाई विजय जी , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
22 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service