For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे चेहरे पर है जमाने के पहरे कितने

मेरे चेहरे पर है जमाने के पहरे कितने
मै हँसूंगा तो उतर जाएंगे चेहरे कितने

मेरी जफाओं का रोना रोते हो बहोत
तुम अपनी वफाओं मे ठहरे कितने

आस्मा अपनी उसत लिए ठहरा है
है समंदर तुम्हारे गहरे कितने

काम थोडा कर लेते है लेकिन
लोग सजा लेते है सहरे कितने

मोहब्बत का पैगा़म सुनाना है मुझे
देखिए तो ये लोग है बहरे कितने

ताबिर जो बतलाते है आज ख़्वाबों कि
बता नही सक्ते दरपेश है ख़तरे कितने

ये तो अपनी नज़र तय करेगी "हमदर्द"
ख्वाब सियाह कितने ,सुनहरे कितने

"मौलिक व अप्रकाशित"
अज़िम शेख़ "हमदर्द" लातुर.
मो. नं.+91-9673086786



"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Azeem Shaikh on October 6, 2016 at 1:38am
सभी उस्ताद हज़रात का तहेदिल से शुक्रिया
ना तो मै कोई बेहतर शायर हुं नाही मै शायरी के ऊसुल (नियम) जानता हुं
मै तो ऐसेही काफिए से काफिया मिलाता हुं

आज आप ने मेरा हौंसला अफ्जाई कि मै बहोत ख़ुश हुं

आईंदा मै और अच्छे कलाम पेश करुंगा
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 27, 2016 at 9:12am
आदरणीय अजीम शेख साहब आपकी रचना बहुत अच्छी है।सादर बधाई प्रेषित है ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2016 at 4:27pm
बहुत बढ़िया पेशकश के लिए सादर हार्दिक मुबारकबाद मोहतरम जनाब अज़ीम शैख़ साहब। कुछ टंकण त्रुटियों पर ग़ौर फ़रमाइयेगा, जैसे हसुंगा= हँसूंगा ...

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 3:39pm

आ. आज़िम शेख साहब अच्छी नज़्म है बधाई

Comment by आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' on September 26, 2016 at 2:07pm

आ. जनाब अज़िम शेख़ "हमदर्द" जी !!!
सुन्दर प्रस्तुति के लिये दाद और मुबारक़बाद कबूल करें!!!
मुझे ये सब शेर बड़े पसंद आये !!!

काम थोडा कर लेते है लेकिन
लोग सजा लेते है सहरे कितने

मोहब्बत का पैगा़म सुनाना है मुझे
देखिए तो ये लोग है बहरे कितने

ये तो अपनी नज़र तय करेगी "हमदर्द"
ख्वाब सियाह कितने ,सुनहरे कितने

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service