For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे गणपति! हे विघ्न विनाशक.....वंदना गीत//डॉ. प्राची

हे गणपति! हे विघ्न विनाशक! वंदन तुम स्वीकार करो।
राह कठिन चहुँ ओर अँधेरा, प्रभु तम का संहार करो।

हैं पग के उद्देश्य सभी शुभ
तुम मंज़िल इनको देना,
जो रोकें रस्ता मंज़िल का
उन विघ्नों को हर लेना
तुम असीम हम प्राणी सीमित, प्रभु तुम ही उद्धार करो।हे गणपति...

बिछी बिसातें चौसर की और
मंगल हुए अमंगल हैं,
अपने गढ़ते चक्र-व्यूह और
अपनों से ही दंगल हैं,
सुलझे गुत्थी शह-मातों की, हर उलझन से पार करो। हे गणपति...

जीवन -जैसे जटिल पहेली,
इसको सरल करें कैसे?
भावहीन दिल पत्थर जैसे,
इनको तरल करें कैसे?
सोये हुए भाव-पुञ्जों तक करुणा का विस्तार करो। हे गणपति...

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 843

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2016 at 4:29pm

बिछी बिसातें चौसर की और
मंगल हुए अमंगल हैं,
अपने गढ़ते चक्र-व्यूह और
अपनों से ही दंगल हैं,
सुलझे गुत्थी शह-मातों की, हर उलझन से पार करो। हे गणपति...    

लाजवाब बात कही इस बन्द मे , आदरणीया गणपति    वंदना के लिये हार्दिक बधाई ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 7, 2016 at 11:01am

सुंदर शिल्प में  गणपति वंदना  गीत रचा  है | वाह  -

हे गणपति! हे विघ्न विनाशक! वंदन तुम स्वीकार करो।
राह कठिन चहुँ ओर अँधेरा, प्रभु तम का संहार करो।  या  तम का प्रभु संहार करो 

हार्दिक बधाई  आ.डॉ.प्राची सिंह जी 

Comment by pratibha pande on September 5, 2016 at 8:12pm

इस पावन अवसर पर भक्ति से ओत प्रोत इस रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीया प्राची जी ...गणपति पर्व की शुभ कामनाएँ प्रेषित हैं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 5, 2016 at 4:55pm

गणपति वन्दन के बोल आपको पसंद आए इसके लिए आभारी हूँ आ० समर कबीर जी और आ० कांता रॉय जी 

सादर 

Comment by Samar kabeer on September 4, 2016 at 5:53pm
मोहतरमा डॉ.प्राची सिंह साहिबा आदाब,अच्छी वंदना की आपने ,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by kanta roy on September 4, 2016 at 2:59pm
बिछी बिसातें चौसर की और
मंगल हुए अमंगल हैं,
अपने गढ़ते चक्र-व्यूह और
अपनों से ही दंगल हैं,
सुलझे गुत्थी शह-मातों की, हर उलझन से पार करो। ...... वाह! गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर यह अनुपम सौगात है हम सबके लिये। बेहतरीन पद्य का सृजन हुआ है आपके द्वारा आदरणीया प्राची जी।बधाई प्रेषित है। गणेश चतुर्थी पर्व की शुभ कामनायें आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service