For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महीन रेशम की डोरी है ये.

mere dost sankalp sharma ki sagaye pe kuch bhav vyakat karne ki koshish mai ye gahzal huee hai. umeed hai aapko pasand ayegi ..

---

महीन रेशम की डोरी है ये, ना ज़ोर इस पे तुम आज़माना
जहाँ ज़रूरत हो जीतने की, बस यूँ ही करना तुम हार जाना

न देखना एक दूसरे को...... भले ही आँखों मे प्यार क्यूँ हो
जो देखना हो, वो साथ देखो बस इक तरफ ही नज़र उठाना

कभी जो जाओगे बृंदावन तो बुलाना राधा ही राधा उसको
कन्हिया जो हो कहाना खुद तो, हां कान्हा जैसे नज़र भी आना

नज़र से करना नज़र की बातें..लबों को रखना लबों की खातिर
सवाल जो हो, जवाब वो हो.. जहाँ हो जिसकी जगह बिठाना

स्याही उसकी कलम भी उसका हो 'फ़िक्र' भी और ब्यां भी उसका
उसी की बातें उसी से करना, हमें भी उसकी ग़ज़ल सुनाना

--

Views: 480

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on May 16, 2011 at 10:15am

shukriyaa abhinav bhayeee

shukriyaa

Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on May 16, 2011 at 10:14am
baagi bhayeee............ aapne to bahut badi umeed laag li humse, sahityaa kahaN hum kahaN .............
fan salamat rahe, fankaar to aate jate rahte haiN
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on May 16, 2011 at 10:13am
@vandnaa ji thanks lot , padhle aur sarahne ke liye :)
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on May 16, 2011 at 10:13am
shukriyaa kamal ji ....................aapki dua hai
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on May 16, 2011 at 10:12am

@ rana prtaap ji...........
shukriyaa padhne ke liye aur comment karne ke liye ///

 

Comment by Abhinav Arun on May 15, 2011 at 10:05pm
 बहुत खूब पौराणिक आख्यानों की खूबसूरत बयानी वाह !! बड़ी नाज़ुक ख़याल दाद कबूलें इस अंदाज़ पर !!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 15, 2011 at 9:58pm
विकास भाई , क्या कहे इस ग़ज़ल पर मतले से लेकर मकते तक बड़ी खूबसूरती से सवारा है आपने , बहुत दिनों के बाद ओ बी ओ पर पुनः आपको पढने को मिला बहुत ही अच्छा लगा, युवा फनकारों को पढ़ ऐसा लगता है की साहित्य का भविष्य बहुत ही उज्वल है | दाद कुबूल करे भाई | 
Comment by कमल वर्मा "गुरु जी" on May 15, 2011 at 1:27pm
वाह फ़िक्र भाई बहुत बढ़िया सोंच है आपकी ........

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on May 14, 2011 at 9:07am

फिक्र साहब ..बहुत खूब 

 


न देखना एक दूसरे को...... भले ही आँखों मे प्यार क्यूँ हो
जो देखना हो, वो साथ देखो बस इक तरफ ही नज़र उठाना

 

आपके दोस्त को हमारी तरफ से भी मुबारकबाद|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
12 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service