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ईमान पर न टंगती, आज देश की नीति

बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की रीति  |1|

भूल हुई है आम से, जनता अब पछताय    

बाहर पहुंच  दाल है, भात नमक से खाय |२|   

टूट गये  सब वायदे, समय हुआ प्रतिकूल

अब चुनाव ही हारकर, वो समझेगा भूल |३|

शुभदिन अब कब आयगा, हुए भले दिन दूर

महँगाई को झेलने, जनता है मजबूर |४|

देखा समतावाद को,  है स्वांग अर्थ हीन

धनियों की यह मंडली,  दूर है  दीन हीन |५|

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by गिरिराज भंडारी on July 25, 2016 at 9:36am

आदरणीय काली पद भाई . दोहा वली के लिये हार्दिक बधाइयाँ ! आ. अशोक भाई जी के उचित सलाहों लर गौर कीजियेगा ।

Comment by Ravi Prabhakar on July 22, 2016 at 8:10am

आदरणीय /बाहर पहुंच दाल है/ , /टूट गई सब बायदे/ , /शुभदिन अब कब आयगा/ , /धनियों का है मंडली/  इस सब के बारे में आदरणीय अशोक सर कर चुके हैं। चूंकि काव्‍य मेरी विधा नहीं है पर फिर भी ये मुझे भी अखर रहे हैं। गुणीजनों की सलाह पर ग़ौर फरमाएं । सादर

Comment by Samar kabeer on July 21, 2016 at 3:14pm
जनाब कालीपद प्रसाद जी आदाब,भाव को देखे तो आपके दोहे अच्छे लगे,बधाई स्वीकार करें ।
वैसे जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी बता ही चुके हैं उनकी सलाह पर ध्यान दीजियेगा ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 21, 2016 at 1:30pm

आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी सादर, अच्छा प्रयास हुआ है आपका दोहों पर.फिरभी कुछ और ध्यान देने की आवश्यकता है. सादर.

ईमान पर न टंगती, आज देश की नीति

बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की नीति |1|.......नीति/नीति समान्त हो गया है.

भूल हुई है आम से, जनता अब पछताय    

बाहर पहुंच दाल है, भात नमक से खाय |२|............पहुँच को पहुंच लिखना उचित नहीं है. फिर //बाहर पहुँच दाल है//..कहन सही नहीं है. 

टूट गई सब बायदे, समय हुआ प्रतिकूल

हारकर फिर चुनाव में, वो समझेगा भूल |३|......टूट गई/गए ..बायदे/वायदे /// हारकर फिर चुनाव में ......इसे // अब चुनाव ही हारकर //....इसतरह किया जा सकता है.

शुभदिन अब कब आयगा, हुए भले दिन दूर

महँगाई को झेलने, जनता है मजबूर |४|.........अच्छा दोहा हुआ है.किन्तु आएगा को आयगा करना ठीक नहीं है.

देखा समतावाद को, है स्वांग अर्थ हीन

धनियों का है मंडली, है दूर दीन हीन |५|.......दोनों ही सम चरणों में गेयता सही नहीं है.//धनियों /धनिकों  का/की

Comment by Ram Sharma on July 21, 2016 at 12:00pm
वाह जी, बहुत बढ़िया दोहे

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