For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - हर इक चेहरा बोल रहा वो लुटा हुआ है - गिरिराज भंडारी

22   22   22   22   22   22 ( बहरे मीर )

कोई किसी की अज़्मत पीछे छिपा हुआ है

कोई ले कर नाम किसी का बड़ा हुआ है

 

यातायात नियम से वो जो चलना चाहा

बीच सड़क में पड़ा दिखा, वो पिटा हुआ है

 

किसने लूटा कैसे लूटा कुछ समझाओ

हर इक चेहरा बोल रहा वो लुटा हुआ है

 

दूर खड़े तासीर न पूछो, छू के देखो

आग है कैसी ,इतना क्यूँ वो जला हुआ है

 

चौखट अलग अलग होती हैं, लेकिन यारो

सबका माथा किसी द्वार पर झुका हुआ है 

 

एक शिकायत कर के देखो, तब जानोगे

किसके अंदर क्या क्या कचरा भरा हुआ है

 

वो फिर दर्पण ले कर हमको दिखला दे ना

आओ साबित कर दें उसको मरा हुआ है 

 

मेरा क्या ? मै वैसे भी इक बंजारा हूँ

मेरा जाना तेरी हाँ तक, रुका हुआ है

********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 23, 2016 at 4:28pm

आदरणीया कल्पना जी , उत्साह वर्धन और सराहना के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 23, 2016 at 4:28pm

आदरणीय आशुतोष भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया  आपका ।

ना का उपयोग जहाँ तक हो सके न करें तो अच्छा है ,  ना तो सम्भव हो तो  मत कहके  देखें , गज़ल मे  न ही कहने का प्रयास करें , वैसे  हिन्दी  के दोहों मे ना का प्रयोग हुआ है ।    कुछ सम्भव न हो तो ही ना कहें ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2016 at 6:00pm

वाह | बहुत सुंदर ग़ज़ल पढने को मिली है | बहुत बहुत बधाई सर आपको शानदार ग़ज़ल हुई है | 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 22, 2016 at 12:04pm

आदरणीय गिरिराज भाई साब आजकल आपकी बहरे मीर पर कई रचनायें पढने को मिल रही हैं .पूरी ग़ज़ल उम्दा है पर इस शेर के लिए वो फिर दर्पण ले कर हमको दिखला दे ना
आओ साबित कर दें उसको मरा हुआ है बिशेष रूप से दाद स्वीकार करें ..हाँ भाई साब ना के प्रयोग पर कई बार तरह तरह की भ्रांतियों के से कुछ जानकारी चाहता हूँ न और ना के प्रयोग में मैं अक्सर दुबिधा में रहता हूँ अपनी जिज्ञासा के लिये पूछ रहा हूँ अन्यथा मत लीजियेगा सादर प्रणाम के साथ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 21, 2016 at 10:30am

आदरनीय विजय भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 21, 2016 at 10:01am
कुछ अजीब हाल है मेरे आसपास का
जो जैसा दिखता है , वैसा होता नहीं।
बहुत बहुत बधाई , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी इस सटीक , सामयिक प्रस्तुति के लिए ,सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 21, 2016 at 9:42am

आदरनीय अशोक भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 21, 2016 at 9:41am

आदरणीय रामबली भाई , सराहना और उत्साहवर्धन के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 21, 2016 at 9:40am

आदरणीय समर भार्र , हुसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

आदरनीय , आपका इशारा सही है , चौखट स्त्री लिंग है  , तदानुसार सुधार भी आवश्यक है --  । गलती बताने के लिये आपका अलग से शुक्रिया । कृपया उस मिसरे को ऐसे पढें ।

चौखट अलग अलग होती हैं, लेकिन यारो 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 21, 2016 at 9:36am

आदरनीय सुशील भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार  ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service