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1- नाम वरों में छुप रहे

नामवरों में छुप रहे , सारे गलती बाज

सच के आगे किस तरह , मची हुई है खाज

मची हुई है खाज , खून उभरा है तन में

लेकिन कोई लाज , कहाँ कब दिखती मन में

सत्य गिनेगा नाम , कभी तो जानवरों में

आज छिपालो झूठ, किसी का नामवरों में

****************

2- गिरगिट मानव देख

धोती में अपनी कभी , नही देखते दाग

और लगाते हैं सदा , अन्य वसन में आग

अन्य वसन में आग , लगाते हैं वो सारे

जिनको डर है सत्य,  कहीं ना उनको मारे

गिरगिट मानव देख , सदा सच्चाई रोती

चलो दिखायें दाग , निकालें उनकी धोती

***************************************

गिरिराज भंडारी

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Comment by Sushil Sarna on June 28, 2016 at 1:43pm

वाह आदरणीय गिरिराज भाई साहिब दोनों ही कुण्डलिया हास्य समावेश के साथ सन्देश का सम्प्रेषण भी कर रही हैं। इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय। दूसरी कुण्डलिया में मैं आदरणीय रामबली गुप्ता जी सहमत हूँ। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2016 at 12:51pm

वाह वाह बढ़िया तंज कसा है दोनों कुंडलियों में आद० गिरिराज जी 

दोनों कुण्डलियाँ शिल्प के हिसाब से मजबूत हैं तथा शानदार हैं 

दूसरी कुंडलिया में अंतिम चरण में ये थोडा सा बदलाव करेंगे तो शायद कहन के हिसाब से बेहतर होगा 

चल दिखलायें दाग---चलो दिखाएं  दाग

आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय 

Comment by रामबली गुप्ता on June 28, 2016 at 12:51pm
कुण्डलिया जिस शब्द या शब्द समूह से शुरू होता है उसी शब्द या शब्द समूह पर समाप्त होता है। आपकी दूसरी कुण्डलिया रचना में शुरू का शब्द *अपनी* या शब्द समूह *अपनी धोती* है जबकि अंत में उनकी धोती रखा है आपने। या तो आप अंत में सिर्फ *अपनी* रखें या *अपनी धोती* रखें तब कुण्डलिया का शिल्प पूर्ण होगा। यह एक सुझाव मात्र है हो सकता है मैं गलत होवूं अतः अन्य सुधीजन भी इस पर अपने विचार प्रस्तुत करें।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2016 at 12:38pm

आदरणीय राम बली भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।

आदरणीय , कमियाँ रह जाने की पूरी सम्भावना है , मैने अभी अभी कुँडलियों पर अभ्यास शुरू किया , खुल के अगर कुछ कहें तो सुधार की कोशिश करूँगा । आभार आपका ।

Comment by रामबली गुप्ता on June 28, 2016 at 12:18pm
द्वितीय कुण्डलिया के अंत में मुझे कुछ संशय है। सुधीजन विचारें
Comment by रामबली गुप्ता on June 28, 2016 at 12:16pm
बहुत सुंदर कुण्डलियाँ हुई हैं आदरणीय। हृदय से बधाई स्वीकार करें।

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