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चल तौल तराजू रिश्तों को 
कुछ अपने पराये नातो को ...

एक तरफ चढा ले माँ को ही 
सबसे प्यारा ये रिश्ता है 
कचरों के डिब्बों में फिर क्यों 
शिशुओं को फेंका जाता है
चल ...........

एक तरफ भाई और बंधू ले 
फिर जर जमीन पर क्यों झगड़े है 
पैसा धन दौलत पर से  क्यों 
सर अपनों के काटे जाते है
चल .........

एक तरफ जीवन साथी ले 
ये जनम जनम का नाता है
तो तलाक फिर क्यों होते है 
संग रहकर भी दुश्मन बनते है
चल ............

जब शक का खतरा पडता है 
क्यों डोला पलड़ा तराजू का 
घर द्वार टुटते देखे है 
क्या नाता रिश्ता खून का
चल .................

सब रिश्ते ही बेगाने है 
कहने के ताने बाने है 
" शक्ति " सुख के संगी साथी 
दुख में नहीं ठिकाने है
चल ....................

बबिता चौबे शक्ति
मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by Saurabh Pandey on May 24, 2016 at 8:04pm

आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है आदरणीया बबिताजी. आपके प्रारम्भिक प्रयास में भी संभावनाएँ दिख रही हैं. किन्तु, आगे आवश्यक प्रयास आपको ही करना है.  गीत लय के अनुसार चलते हैं. लय शब्दों की मात्राओं से बँधे होते हैं. ये मात्राएँ पंक्तियों के अनुरूप सधी होती हैं. अन्यथा, गीतों का सस्वर पाठ नहीं हो सकेगा. लय या सस्वर पाठ के बिना गीत गीत नहीं हो पाते. 

शुभेच्छाएँ 

Comment by pratibha pande on May 22, 2016 at 9:52pm

आपकी रचना के भाव सुन्दर हैं ,  हार्दिक बधाई स्वीकार करें आप 

Comment by Pawan Kumar on May 19, 2016 at 12:54pm

सुन्दर रचना
हार्दिक बधाई।

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