For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब जब तुम्हारे पाँव ने रस्ता बदल दिया (ग़ज़ल)

बह्र : २२१२ १२११ २२१२ १२

 

जब जब तुम्हारे पाँव ने रस्ता बदल दिया

हमने तो दिल के शहर का नक्शा बदल दिया

 

इसकी रगों में बह रही नफ़रत ही बूँद बूँद

देखो किसी ने धर्म का बच्चा बदल दिया

 

अंतर गरीब अमीर का बढ़ने लगा है क्यूँ

किसने समाजवाद का ढाँचा बदल दिया

 

ठंडी लगे है धूप जलाती है चाँदनी

देखो हमारे प्यार ने क्या क्या बदल दिया

 

छींटे लहू के बस उन्हें इतना बदल सके

साहब ने जा के ओट में कपड़ा बदल दिया

---------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 769

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2016 at 6:51pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आशुतोष मिश्र जी। बह्र लिखने में मुझसे एक त्रुटि हो गई है ये बह्र २२१२ १२११ २२१२ १२ न होकर २२१ २१२१ १२२ १२१२ है। यानी स्पेस थोड़ा इधर उधर हो गया था। नीचे विस्तृत जानकारी दी गई है।

बह्रे मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ

22121211221212

मफ्ऊलु

फायलातु

मफाईलु

फायलुन्

221

2121

1221

212

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2016 at 6:44pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर साहब।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2016 at 6:44pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील जी।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2016 at 6:43pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  नादिर ख़ान साहब।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2016 at 6:43pm

शुक्रिया आदरणीय महर्षि जी। किसी भी बह्र के अंत में आने वाले गाम यानी गुरु के बाद एक लाफ यानि लघु लेने की छूट होती है। ज़्यादा जानकारी के लिए वीनस केसरी जी की पुस्तक "ग़ज़ल की बाबत" खरीद सकते हैं। 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2016 at 4:14pm

इस सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक  बधाई भाई धर्मेन्द्र जी   बह २२ २२ २२ २२ २ भी की जा सकती है अथवा नहीं मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है पर ऐसा  समीचीन लगा .मुझे ऐसा लगा इसलिए लिखा  अन्यथा मत लीजियेगा ..सादर 

Comment by Samar kabeer on April 1, 2016 at 2:53pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार जी आदाब,बढ़िया ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by Sushil Sarna on April 1, 2016 at 1:51pm

ठंडी लगे है धूप जलाती है चाँदनी
देखो हमारे प्यार ने क्या क्या बदल दिया

वाह बहुत खूब आदरणीय ... खूबसूरत भावों की इस ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें।

Comment by नादिर ख़ान on April 1, 2016 at 12:59pm

बहुत खूब कहा आदरणीय धर्मेंन्द्र जी, हर शेर अपने आप में कहानी कह रहा है।  इस शानदार  लिए बहुत मुबारकबाद ... 

Comment by maharshi tripathi on April 1, 2016 at 11:34am

सुन्दर गजल कही है आपने आ.धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी ,सर कृपया 

"इसकी रगों में बह रही नफ़रत ही बूँद बूँद"

का बहर समझा दें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service