For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसे ज़िन्दगी की वो ताल दे (ग़ज़ल)...//डॉ.प्राची

11212 ,11212 ,11212 ,11212

हो भले कठिन मेरी हर डगर, मुझे चाहे कोई भी हाल दे।
मेरा हर कदम यूँ सधा पड़े, कि जहान जिसकी मिसाल दे।

न किसी किताब के प्रश्न हों, न जवाब उनकेे कहीं मिलें
मेरी नज़्र ही हो जवाब हर, तू उसे ज़रा वो सवाल दे।

वो घुला है मुझमे कुछ इस कदर, कि न हो सके कोई वापसी
मेरा चीर दिल, मेरे होश ले, मेरी जान चाहे निकाल दे।

मैं चलूँ चले, मैं थमूँ थमे, जो हँसू हँसे, मेरे साथ ही
मेरा प्यार छू ले हर इक ज़हन, मेरी शख्सियत में कमाल दे।

मुझे हर तरफ दिखे गम ही गम, दिखी आँसुओं से हर आँख नम
जो हरे हृदय से हर एक तम, मेरे हाथ में वो मशाल दे।

न चुभन रहे, न घुटन रहे, न ही आँसुओं का हो सिलसिला
जो बदल सके मेरी ज़िन्दगी, मेरे रक्त में वो उबाल दे।

मैं कदम न उससे मिला सकी, उसे मुझसे ये ही गिला रहा
वही नाच ले मेरी ताल पर, उसे ज़िन्दगी की वो ताल दे।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 538

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on March 13, 2016 at 9:56pm
आदरणीय आपने एक कठिन बह्र पर अच्छा प्रयास किया है बधाई
Comment by रामबली गुप्ता on March 10, 2016 at 6:58pm
बहुत ही सुंदर ग़ज़ल बहुत बहुत बधाई आपको
Comment by Sushil Sarna on March 10, 2016 at 3:49pm

हो भले कठिन मेरी हर डगर, मुझे चाहे कोई भी हाल दे।
मेरा हर कदम यूँ सधा पड़े, कि जहान जिसकी मिसाल दे।

.... वाह आ. डॉ प्राची सिंह जी बहुत ही खूबसूरत अशआर कहे हैं आपने। इस बहर पर इतनी खूबसूरत ग़ज़ल की पेशकश काबिले तारीफ़ है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Ravi Shukla on March 10, 2016 at 12:59pm

आदरणीया प्राची जी सुन्‍दर गजल के लिये आपको बहुत बहुत बधाई कम समय में ही इस बह्र पर भी आपकी गजल मंच पर गजलों के लिये शुभ संकेत है पुन: बधाई ।

दूसरे शेर के सानी मिसरे में नज्र और चौथे शेर के सानी मिसरे में इक जहन लफ्ज के मूल स्‍वरूप के अनुसार उपयोग पर विद्वत जनों की राय की प्रतीक्षा होगी जिससे जानकारी बढे हमारी

सादर ।

Comment by ram shiromani pathak on March 10, 2016 at 10:48am
आदरणीया प्राची जी आपको ग़ज़लो पर काम करते देख बहुत ख़ुशी हुई।।बहुत बहुत बधाई
Comment by TEJ VEER SINGH on March 10, 2016 at 10:37am

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ प्राची सिंह!बेहतरीन गज़ल!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service