For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर बार उन्हें आप ने सुल्तान बनाया (ग़ज़ल)

बह्र : २२११ २२११ २२११ २२

 

ये झूठ है अल्लाह ने इंसान बनाया

सच ये है कि आदम ने ही भगवान बनाया

 

करनी है परश्तिश तो करो उनकी जिन्होंने

जीना यहाँ धरती पे है  आसान बनाया

 

जैसे वो चुनावों में हैं जनता को बनाते

पंडे ने तुम्हें वैसे ही जजमान बनाया

 

मज़लूम कहीं घोंट न दें रब की ही गर्दन

मुल्ला ने यही सोच के शैतान बनाया

 

सब आपके हाथों में है ये भ्रम नहीं टूटे

यह सोच के हुक्काम ने मतदान बनाया

 

हर बार वो नौकर का इलेक्शन ही लड़े पर

हर बार उन्हें आप ने सुल्तान बनाया

------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 855

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 2, 2016 at 11:48am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 2, 2016 at 11:46am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय बैजनाथ जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 2, 2016 at 11:46am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 2, 2016 at 11:45am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 26, 2015 at 7:25pm

आदरणीय धर्मेन्द्र जी इस शानदार ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई ..हर शेर उम्दा है 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 26, 2015 at 5:39pm

आदरणीय  धर्मेन्द्र कुमार जी ..............सुन्दर ग़ज़ल| बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on December 26, 2015 at 4:49pm
बहुत सुन्दर गजल।  ढेरों दाद कुबूल करें। सादर
Comment by gumnaam pithoragarhi on December 25, 2015 at 6:37pm

वाह खूब ग़ज़ल हुई है भाई जी वाह बधाई

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 25, 2015 at 11:07am
शुक्रिया आदरणीय नीलेश जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 25, 2015 at 11:06am
शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service