For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमें एक बार फिर से मुस्कुराना चाहिए----
1222-1222-1222-12

हमें एक बार फिर से मुस्कुराना चाहिए
उसी टूटे ह्रदय से गीत गाना चाहिए

लगी ठोकर मुहब्बत की गिरे जो राह में
हमें तो दिल से दिल को फिर मिलाना चाहिए

जमीं से चाँद तारों तक सजाया प्यार है
सजा में मौत भी हो तो निभाना चाहिए

सफर अपना भले ही साहिले गर्दिश में हो
दिया हो पास में तो फिर जलाना चाहिए

यूँ हिम्मत हार कर ना बैठ मेरे हम सफर
बहरों को हमें फिर से बुलाना चाहिए
मौलिक/ अप्रकाशित

Views: 456

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:29am

आदरणीय आमोद भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥
मतले के उला मे - एक को इक कर लीजियेगा

यूँ हिम्मत हार कर ना बैठ मेरे हम सफर   --  को--- हिम्मत हार कर यूँ बैठ मेरे हम सफर  ,  ऐसा   करना सही रहेगा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 1:55pm

बढ़िया  ग़ज़ल हुई है आदरणीय आमोद जी इस प्रस्तुति पर आपको बहुत- बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 27, 2015 at 9:16pm

सुन्दर ग़ज़ल हुई आमोद जी बहुत- बहुत बधाई लीजिये. 

Comment by amod shrivastav (bindouri) on October 27, 2015 at 8:55am
रहिला जी आप ने हमारी गजल को समय दिया बहुत आभार आगे भी आप के प्यार और स्नेह का अकांशी रहूँगा सादर नमन
Comment by amod shrivastav (bindouri) on October 27, 2015 at 8:52am
आ कान्ता दीदी आप की पहली उत्साह वर्धक टिपण्णी प् बहुत खुसी हुई आप को सादर नमन
Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 5:36pm

सफर अपना भले ही साहिले गर्दिश में हो
दिया हो पास में तो फिर जलाना चाहिए----बहुत ही प्रेरक शेर कही है आपने। बधाई हो आदरणीय आमोद जी।

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 4:01pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आद. अमोद जी । बहुत बधाई आपको ।
Comment by amod shrivastav (bindouri) on October 26, 2015 at 11:20am
टंकण त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ । अन्य विषय में त्रुटि हो तो जरूर मार्ग दर्शन दे
मंच में सभी को सादर नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service