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ऐसा हो नव-जीवन -[ काव्य-रचना]

आत्म-मंथन से,
चिंतन-मनन से,
कुछ सुधरे,
अपना जीवन,
स्वार्थों से,
लोभ से,
अंधविश्वास,
अंधानुकरण से,
मुक्त रहे जो,
ऐसा हो नव-जीवन।
प्रकृति से,
संस्कृति से,
नीति-रीति से,
सहज अनुकूलन।
आचरण से,
सदानुकरण से,
पर्यावरण से,
श्रेष्ठ संतुलन,
ऐसा हो नव जीवन।

(मौलिक व अप्रकाशित)
_शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी म.प्र.

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 2:26am
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 2:25am
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 2:25am
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 2:25am
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 15, 2015 at 5:29pm

सुखद नव जीवन  की कामना करते भावपूर्ण  रचना  के लिए बधाई  श्री शेख शहजाद उस्मानी जी 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 14, 2015 at 10:49pm
हार्दिक हौसला अफज़ाई हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय श्री गिरिराज भण्डारी जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 14, 2015 at 9:28pm

आ. शेख सहज़ाद भाई , आपकी इस सन्देश परक रचना के लिये हार्दिक बधाई ।

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