For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"प्रत्युत्तर पैरोडी पर" - [लघु कथा]

क्रिकेट मैच जीतने के बाद मोहल्ले के लड़के जश्न मनाते हुए एक टीले पर बैठे हुए थे। मोटू सोनू ने अपनी टाइट शर्ट के बटन सही करते हुए कहा- "अब मैं करता हूँ आमिर खान की नकल ! टी.वी. पे वो नया विज्ञापन देखा है न....
"हम अब भी वहीं के वहीं खड़े हैं, न हम बदले, न हम मोटे हो रहे हैं।
ये तो कमबख़्त कपड़ों की है शरारत, जो अपने आप छोटे हो रहे हैं! "
"वाह, क्या बात है, इसी पे पैरोडी हो जाये। बोल संजू अब तू बोल "- उनमें से एक ने कहा।
संजू शुरू हो गया- "हम अब भी वहीं खड़े हैं, न हम बदले, न हम ऊँचे हो रहे हैं, ... ये तो कमबख़्त नेताओं की है भ्रष्टाचारी, जो नित छोटे और ओछे हो रहे हैं!"
वाह भई वाह.... सही पकड़े हैं संजू मोची जी।"
कोई कोल्ड ड्रिंक्स तो कोई व्हिस्की पीते हुए वाह वाह कर रहा था। तभी अपनी बारी पर कल्लू नाई ने अपनी पैरोडी सुनाई-
"कचड़े वहीं के वहीं पड़े हैं, न हम बदले, न हम सुधर रहे हैं, ....ये तो कमबख़्त वेस्ट बिनों-घूरों की है हिमाकत, ...जो भर-भर के छोटे हो रहे हैं!"
तभी बीच में ही टपक कर एक क्रिकेट विरोधी लड़के ने अपनी तुकबंदी छेड़ दी--
"हाकी में अब भी हम वहीं पड़े हैं, न हम सीखे, न बच्चे सीख रहे हैं,.... ये तो कमबख़्त क्रिकेटरों की है 'कलाकारी', .... जो सब बल्ला ही पीट रहे हैं !"
"बिलकुल सही पकड़े हैं, सलीम भाईजान"-- चुन्ना ने सराहना करते हुए कहा- "लो अब मेरी भी झेलो--
"बाबा जेलों में क्यूँ पड़े हैं, न निकले, न सज़ा पा रहे हैं, .....ये तो नेता-राजनीति की है शरारत, ....जो गवाह मारे जा रहे हैं !"
"वाह, मज़ा आ गया आज तो , अरे ओय कैप्टन अब तू ही कुछ सुना दे पैरोडी में ।"- झबरू ने उसे छेड़ते हुए कहा।
कैप्टन ने कुछ देर सोचा, फिर टीले पर खड़ा हो कर बोला-
"हम धरती बिगाड़ने पर तुले हुये हैं, .... न शुद्ध हवा और न ही शुद्ध पानी पी रहे हैं, .... ये तो वैज्ञानिकों की है बस सनक, जो मंगल पे खारा पानी ढूंढ रहे हैं !"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 7, 2017 at 10:49pm
आपको यह प्रयोग पसंद आया। मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देकर अनुमोदन करने व हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय प्रकाश जी।
Comment by Omprakash Kshatriya on October 8, 2015 at 4:48pm

आदरणीय  शेख जी आप का प्रयोग पसंद आया . बधाई आप को .

Comment by Omprakash Kshatriya on October 8, 2015 at 9:17am

आदरणीय  शेख जी आप का प्रयोग पसंद आया . बधाई आप को .

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 8, 2015 at 7:50am
आदरणीय सतविंदर कुमार जी व आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी मेरी इस नवप्रयोगत्मक रचना पर उपस्थिति देकर प्रोत्साहित करने व रचना की पंक्तियों को पसंद करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद। समीक्षात्मक टिप्पणियों की भी आवश्यकता है।
_शेख़ शहज़ाद उस्मानी
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 7, 2015 at 11:51pm
आदरणीय शेख़ सहजाद उस्मानी जी , लाइने तो सभी बहुत अच्छी हैं , पर यह कुछ अधिक अच्छी है , और जरूरी भी है ," "हम धरती बिगाड़ने पर तुले हुये हैं, .... न शुद्ध हवा और न ही शुद्ध पानी पी रहे हैं, ."
बधाई इस मजेदार प्रस्तुति के लिए , सादर।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 7, 2015 at 8:30pm
बहुत बहुत अच्छी कथा आदरणीय शेख साहब।हृदयतल से बधाई स्वीकारें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service