For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-वो दुश्मनी की सब हदों को--

                           ग़ज़ल

 

                  (वहर :  2212  2212  2212  2212 )

वो दुश्मनी की सब हदों को पार करता ही रहा I

मैं माफ़ उसको जान कर हर बार करता ही रहा II

 

जो आह भर भर हर समय थे देखते राहें सदा ,

उनके दिलों से वो सदा व्यापार करता ही रहा I

 

दिल से न शाया था हटा, कुछ तो नजर ढूंढे तभी ,

पहचानता है क्या उसे, इनकार करता ही रहा I

 

राजा दिलों का वो बनें, है मर नहीं सकता कभी ,

इंसान पे जो भी सदा उपकार करता ही रहा I

 

आका बना खुद का, कभी गैरत न जो छोड़े वही

हो सुर्खरू, दुश्मन भले सौ वार करता ही  रहा I

 

कुर्बान कर अपनी जवानी देश पर उसको है फख्र ,

की पीढियां बलिदान फिर भी प्यार करता ही रहा I

 

कर पाया कोई बन्दगी है देश की कुछ इस तरह ,

खुद के तसव्वुर से भी जो तकरार करता ही रहा I    

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

डॉ.कंवर करतार 'खन्देह्ड़वी'

Views: 618

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कंवर करतार on October 5, 2015 at 9:36pm

कृषन मिश्र जी ग़ज़ल की दाद पर दिल से धन्याबादI 

Comment by कंवर करतार on October 5, 2015 at 9:32pm

भाई मिश्र जी होसलाफ्साई के लिए कोटो कोटि धन्यावाद I

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 5, 2015 at 6:32pm
आ.आपकी पहली गजल पढ़ रहा हूँ।बेहतरीन मतले के साथ बहुत अच्छी गजल हुयी है।हार्दिक बधाई।सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 5, 2015 at 12:52pm

आदरणीय कँवर जी ..इस सुंदर सशक्त रचना के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करे सादर 

Comment by कंवर करतार on October 3, 2015 at 2:44pm

भंडारी भाई ,बस आपकी टिपणी का ही इन्तजारकर रहा था Iआपकी नजर में ग़ज़ल अच्छी बन पाई है तो मेरा प्रयास सफल हो गयाI बस इसी तरह नजरे इनायत से रचनाओं को तोलते रहिएगा ,आभारी हूँगा ,सादर I  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 3, 2015 at 2:23pm

आदरनीय डा. कँवर भाई , बहुत सुन्दर गज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ आपको ॥

Comment by कंवर करतार on October 3, 2015 at 1:52pm

श्याम बर्मा जी ग़ज़ल की सराहना के धन्यावादI

Comment by कंवर करतार on October 3, 2015 at 1:51pm
Comment by Shyam Narain Verma on October 3, 2015 at 10:07am

बहुत सुंदर, भावनाओं से परिपूर्ण इस गजल पर आपको बहुत बहुत बधाई 

सादर,

Comment by maharshi tripathi on October 2, 2015 at 11:57pm

राजा दिलों का वो बनें, है मर नहीं सकता कभी ,

इंसान पे जो भी सदा उपकार करता ही रहा I,,,,,,इंसानियत को परिभाषित करता सुन्दर शेर ,,बधाई आपको आ. डॉ.कंवर करतार 'खन्देह्ड़वी' जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
3 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
5 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service