For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीड़ाओं के इस दलदल में - लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

2222    2222    2222    222
******************************
रोने का तुम नाम न लेना रीत बनाओ हँसने की
रोने धोने में क्या रक्खा  होड़ लगाओ हँसने की /1
******
माना पाँव धँसे हैं कब से पार उतरना मुश्किल है
पीड़ाओं के इस दलदल में गंग बहाओ हँसने की /2
******
परपीड़ा में सुख  मत खोजो ये पथ घेरे वाला है
दूर तलक जो ले जाती है राह बताओ हँसने की /3
******
पोंछो आँसू बाढ़ में इसकी खुशियों के घर बहते हैं
निर्जन में भी  यारो  बस्ती रोज बसाओ हँसने की /4
******
सिर्फ हँसी ही यार खुदा  की  सबसे अच्छी नेमत है
घाव लगे हों दिल पर कितने कश्में खाओ हँसने की /5
******
रचना मौलिक और अप्रकाशित



Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2015 at 10:34am

आ० राजेश दी , उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार . त्रुटि की और ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2015 at 10:32am

आ० भाई विजय जी , अपनी उपस्थिति से ग़ज़ल का मन बढ़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 18, 2015 at 8:41pm

बहुत बढ़िया सार्थक सन्देश देती ग़ज़ल हर अशआर प्रभाव शाली हुआ लक्ष्मण धामी भैया दाद कुबूलें ,हाँ अंतिम मिसरे में कसमें कर लें टंकण मिस्टेक आ गई है |

Comment by vijay nikore on August 18, 2015 at 1:03pm

आपने गज़ल बढ़िया लिखी है। बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 18, 2015 at 10:41am

आ० भाई समर जी, उपस्थिति और उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 18, 2015 at 10:40am

आ० भाई मिथिलेश जी , आपकी उपस्थिति हमेशा उत्साहवर्धक होती है . स्नेह बनाये रखे l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 18, 2015 at 10:38am

आ० भाई श्री सुनील जी , उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार .

Comment by Samar kabeer on August 17, 2015 at 10:43pm
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी,आदाब,बहुत ही शानदार ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को ,अच्छे संकेत छुपे हैं आपकी ग़ज़ल में ,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 16, 2015 at 10:11pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी सर, बढ़िया ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 

सादर 

Comment by shree suneel on August 16, 2015 at 8:06pm
क्या बात है! बहुत ख़ूब.. बहुत ख़ूब! आदरणीय लक्ष्मण धामी जी.
'रोने धोने में क्या रक्खा होड़ लगाओ हँसने की '.. व्वाहह
सार्थक संदेश देती ग़ज़ल.. सारे अशआर बेशकीमती हैं.
हार्दिक बधाई आपको इस ख़ूबसूरत प्रस्तुति पर आदरणीय.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service