For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- "ग़ालिब" से माज़रत के साथ

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन

इस तरफ़ भूल कर नहीं आती
ये ख़ुशी मेरे घर नहीं आती

आप रूठे हुए हैं जिस दिन से
"कोई उम्मीद बर नहीं आती"

बच निकलने की,ज़िन्दगी तुझसे
"कोई सूरत नज़र नहीं आती"

"मौत का एक दिन मुअय्यन है"
वक़्त से पैशतर नहीं आती

दिन में सोते हैं और पूछते हैं ?
"नींद क्यूँ रात भर नहीं आती"

देख लेती थी जो पस-ए-दीवार
वो नज़र,अब नज़र नहीं आती

"काबा किस मुंह से जाओगे",बोलो
शर्म तुमको "समर" नहीं आती

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 563

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 2, 2015 at 11:04pm
जनाब डॉ आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 2, 2015 at 11:02pm
जनाब रवि शुक्ल जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 2, 2015 at 11:01pm
जनाब सुशील सरना जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 2, 2015 at 11:00pm
जनाब राहुल डांगी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 2, 2015 at 10:59pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 1, 2015 at 2:58pm

आदरणीय समर जी आपकी ग़ज़ले बेहद उम्दा होती हैं प्रस्तुत ग़ज़ल में बड़ी ही सहजता से बहुत कुछ कहा गया है .मौत का एक दिन मुअय्यन है"
वक़्त से पैशतर नहीं आती

दिन में सोते हैं और पूछते हैं ?
"नींद क्यूँ रात भर नहीं आती"

ये दो शेर इस ग़ज़ल के मेरे पसंदीदा शेर हैं 

.इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Ravi Shukla on July 30, 2015 at 2:21pm

आरणीय समर कबीर साहब

हर शेर पर बरबस ही वाह वाह निकल रही है

क्‍या खूब ग़ालिब साहब के मिसरो का इ्रस्‍तेमाल किया है

दिली दाद कुबूल कीजिये

Comment by Sushil Sarna on July 30, 2015 at 1:36pm

"मौत का एक दिन मुअय्यन है"
वक़्त से पैशतर नहीं आती

वाह इन खूबसूरत अहसासों से लबरेज़ इस ग़ज़ल के हर शे'र के लिए दिली दाद कबूल फरमाएं आदरणीय समर कबीर साहिब।

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 29, 2015 at 10:53pm
वाह वाह आदरणीय हर शे'र हेतु दाद कबूल करें।
"काबा किस मुंह से जाओगे",बोलो
शर्म तुमको "समर" नहीं आती

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 29, 2015 at 10:02pm

वाह वाह वाह 

क्या खूब ग़ज़ल हुई है वाह वाह वाह 

आदरणीय समर कबीर जी, अभिभूत हो रहा हूँ इन चार अशआर को पढ़ कर 

आप रूठे हुए हैं जिस दिन से
"कोई उम्मीद बर नहीं आती"

बच निकलने की,ज़िन्दगी तुझसे
"कोई सूरत नज़र नहीं आती"

"मौत का एक दिन मुअय्यन है"
वक़्त से पैशतर* नहीं आती                           *पहले 

दिन में सोते हैं और पूछते हैं ?
"नींद क्यूँ रात भर नहीं आती"

इस आनंद को शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता हूँ. अशआर ऐसे हुए है जैसे  दुआयें कुबूल हो गई है .... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
21 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
24 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
10 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service