For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मफ़ऊल फ़ाइलात मफ़ाईल फ़ाइलुन

सब छोड़ छाड़ हम्द-ओ-सना में लगा रहा
आफ़त पड़ी जो सर प दुआ में लगा रहा

अब उससे नेकियों की तवक़्क़ो फ़ुज़ूल है
जो सारी उम्र जुर्म-ओ-सज़ा में लगा रहा

सीने में अपने झाँक के देखा नहीं कभी
हर सम्त वो तलाश-ए-ख़ुदा में लगा रहा

हिम्मत थी जिसमें ,छीन लिया बढ़ के अपना हक़
मजबूर था जो आह-ओ--बुका में लगा रहा

अच्छाई उसको छू के भी गुज़री नहीं कभी
उसका दिमाग़ सिर्फ़ ख़ता में लगा रहा

मैंने तो जान बूझ के धोया नहीं कभी
उसके लहू का दाग़ क़बा में लगा रहा

एह्ल-ए-जफ़ा ने ख़ूब रचीं साज़िशें "समर"
जो था वफ़ा परस्त,वफ़ा में लगा रहा

------
हम्द-ओ-सना :- ईश्वर की तारीफ़ (भक्ति)
तवक़्क़ो :- आशा
सम्त :- दिशा
आह-ओ-बुका :-चीख़ चीख़ के फरियाद करना
मक़नातीस :- चुम्बक
साज़िशें :- षडयंत्र
------

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 786

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 13, 2015 at 10:26pm
जनाब सौरभ पांडे जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 13, 2015 at 4:16pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय समर साहब.  दाद कुबूल कीजिये.

शुभ-शुभ

Comment by Samar kabeer on August 9, 2015 at 11:27pm
जनाब श्री सुनील जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 9, 2015 at 11:25pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,सबके भले में ही अपना भला है,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 9, 2015 at 11:22pm
जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,मुहब्बत जैसी क़ीमती शय आप मुझे दे रहे हैं,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 9, 2015 at 11:18pm
जनाब डॉ आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,आपकी मुहब्बतें मुझे हौसला देती हैं,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 9, 2015 at 11:15pm
जनाब रवि शुक्ल जी,आदाब,ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 9, 2015 at 11:13pm
जनाब हर्ष महाजन जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by shree suneel on August 9, 2015 at 6:21pm
हिम्मत थी जिसमें ,छीन लिया बढ़ के अपना हक़
मजबूर था जो आह-ओ--बुका में लगा रहा... ख़ूब
अच्छी.. ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ आपको आदरणीय समर कबीर सर जी.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 9, 2015 at 1:05pm

आदरणीय  समर भाई बेहतरीन ग़ज़ल के लिये आपको शे र दर शेर मुबारक़ बाद ।

उस शे र को निकलवाने  के फैसले का मै स्वागत करता हूँ , और आ. कृष्णा भाई जी की बात से मै सहमत हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
9 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service