For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"श्रद्धा" - लघुकथा

"अमर! गाडी पंडितजी के घर के आगे लगाकर जरा उन्हे तनिक बाहर बुला लाओ।" सेठ जी ने अपने ड्राईवर को आज्ञा दी।......
कुछ ही क्षण बाद अमर के पीछे पंडितजी बाहर आते नजर आये। "सेठजी राधे राधे। मैं गीता पाठ कर रहा था आप के आने की बात सुन पाठ छोड़ चला आया, कहिये कैसे याद किया आपने?"
"राधे राधे पंडितजी।" सेठजी मुस्कराने लगे। "कुछ खास नही, आप के लिये कुछ वस्त्र लिये थे सोचा गुजरते हुये देता चलूँ।"
पंडितजी से 'आयुष्मान भव:' का आशिर्वाद पा सेठजी की गाडी आगे चल पड़ी। अमर 'बैक मिरर' में सेठजी को देखते हुये हैरान हो पूछने लगा। "सेठजी आप तो पंडितजी को सत्यनारायण की पूजा के लिये कहने वाले थे न!"
हाँ बेटा, लेकिन जिस व्याक्ति की अपनी पूजा में ही सम्पूर्ण श्रद्धा नजर नही आ रही उससे पूजा करवाना......।" कहते कहते सेठजी चुप हो गये।
'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 782

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on July 29, 2015 at 7:30pm

आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी ,

प्रणाम .

आप की श्रद्धा लघुकथा  पढ़ कर सचमुच ऐसी श्रद्धा से विश्वास उठ गया. शानदार रचना आप  की .

बधाई आप को 

Comment by विनय कुमार on July 29, 2015 at 3:36pm

बहुत ही बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी , आजकल कहाँ मिलती है सच्ची श्रद्धा | बधाई इस लघुकथा के लिए.

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 28, 2015 at 10:45pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी रचना पर आपके आगमन और सकारत्मक प्रतिक्रिया देने के लिये सादर आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 28, 2015 at 10:42pm
आदः प्रतिभा पांडेयजी और नीता कसार जी आप दोनो गुणीजनो का कथा पर अमूल्य कमेंटस के लिये मेरा तहे दिल से आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 28, 2015 at 10:38pm
आदः विनोद भाई जी कथा पर आपके आगमन और सुन्दर प्रतीक्रिया देकर हौसला अफजाई के लिये आपका दिल से आभारी हूँ।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 28, 2015 at 10:32pm
भाई मिथिलेश वामनकर जी रचना पर सदैव आपके समीक्षात्मक आगमन की प्रतीक्षा मुझे सदा ही रहती है आपकी सकारत्मक प्रतिक्रिया के बाद मुझे लगता है कि मै अपने लेखन मे कहाँ तक सफल हुआ?
आपके इस सहयोग के लिये मै तहे दिल से आभारी हू और भविष्य में भी आपका ये सहयोग बना रहेगा इसी आशा के साथ पूनः आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 28, 2015 at 10:07pm
आभार आदः प्रशांत भाई जी कथा पर समय देने और हौसला बढाने के लिये।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 28, 2015 at 10:07pm

सच कहा आपने जिस पर विश्वास नहीं उससे पूजा !!! आजकल पूजा के नाम पर व्यवसाय करते हैं लोग सच्ची आस्था है कहाँ 

बहुत बढ़िया कटाक्ष करती लघु कथा आ० विनोद जी आपको बहुत- बहुत बधाई 

Comment by Nita Kasar on July 28, 2015 at 8:12pm
लघुकथा की बेहतर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें आदरणीय वीर मेहता जी ।आख़िर पंडित जी भी तो इंसान है उन्है क्या पता सेठ जी परीक्षा लेने आये है ।
Comment by pratibha pande on July 28, 2015 at 6:15pm

पंडिताई भी एक बहुत ही फलता फूलता बिज़नेस है आज के समय का I  अच्छी कथा है आ०वीरेन्द्र जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
43 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
15 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
19 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service