For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभी जीने की हसरत मुझमें बाकी है

1222/ 1222/ 1222
मेरे दिल में अजब सी बेकरारी है
अभी जीने की हसरत मुझमें बाकी है

मैं मेरी हसरतों के साथ तन्हा हूँ
किसे परवाह मेरी चाहतों की है

वो बरसेगा कि मुझ पर टूट जायेगा
अभी बादल मेरे सर पर उठा ही है

अचानक शह्र क्यों जलने लगा कहिये
शरारों को किसी ने तो हवा दी है

हक़ीकत ही कही थी मैंने तो ऐ दोस्त
ये देखो जान पर मेरी बन आई है

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 23, 2015 at 3:52pm

विलम्ब के लिये क्षमा कीजियेगा रचना की सराहना के लिये आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय सौरभ सर इस्लाह के लिये शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 9, 2015 at 1:27am

शिज्जू भाई, वाह ! शेर अच्छे हुए हैं. दाद कुबूल कीजिये


एक बात :
मैं मेरी हसरतों के साथ तन्हा हूँ -   मैं का सम्बन्धकारी सर्वनाम ’अपना’ होता है, ’मेरा’ नहीं. ऐसे वाक्य अशुद्ध होते हैं,  जो बोलचाल की हिन्दी, विशेषकर महाराष्ट्र-गुजरात आदि में, घुस आये हैं. लेकिन ये व्याकरण सम्मत नहीं हैं.  मैं मेरा काम करता हूँ गलत वाक्य है. मैं अपना काम करता हूँ शुद्ध वाक्य है.

शुभेच्छाएँ

Comment by vijay nikore on July 6, 2015 at 2:50am

 बहुत ही अच्छी गज़ल लिखी है। हार्दिक बधाई।

Comment by maharshi tripathi on July 5, 2015 at 9:55pm

बढ़िया गजल हुई है ,,बधाई आ. शिज्जु "शकूर" जी |

Comment by वीनस केसरी on July 5, 2015 at 1:32am

वो बरसेगा कि मुझ पर टूट जायेगा
अभी बादल मेरे सर पर उठा ही है

अचानक शह्र क्यों जलने लगा कहिये
शरारों को किसी ने तो हवा दी है

वाह जनाब क्या कहने ....

Comment by kanta roy on July 4, 2015 at 11:30pm
मेरे दिल में अजब सी बेकरारी है
अभी जीने की हसरत मुझमें बाकी है ........ वाह !!!! जीने की हसरत की क्या बात कही है आपने शिज्जु 'शकूर ' जी आपने । शानदार गजल के लिए बधाई स्वीकार करें ।
Comment by shree suneel on July 4, 2015 at 8:49pm
जी हाँ.... आदरणीय शिज्जु सर जी, ये अलिफ़ वस्ल का मामला था. क्षमा चाहूंगा.
पुनः बधाइयाँ आपको इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए. सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 4, 2015 at 7:59pm
आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया। श्री सुनील जी गौर फरमायें
ये देखो जा/ न पर मेरी/ ब ना ई है

यहाँ अलिफ़ वस्ल है
Comment by shree suneel on July 4, 2015 at 4:46pm
अचानक शह्र क्यों जलने लगा कहिये
शरारों को किसी ने तो हवा दी है... ख़ूब... बढ़िया शे'र
आ० शिज्जु सर, ख़ूबसूरत अशआर हुए हैं. बधाई आपको.
अंतिम शे'र के सानी में मात्रा शायद अधिक हो गई.
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 4, 2015 at 12:07pm

सुन्दर गज़ल हुयी है आ० शिज्जू सर!दाद प्रेषित है!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service