For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अकेला-एकान्त

असंग आत्म-विश्वास का

गम्भीर भान

अकेला-एकान्त

कभी करी हुई विलीन हुई बातें

अनबूझा विशाद

संसारी गतिविधियों से 

परिवर्तित प्रवृत्तियों से 

बदले व्यवहार से शब्दों की चोट से

कुछ हुआ अचानक

हमारे बीच का बहता वह सुगम प्रवाह

घनिष्ठ अपनत्व

अमृत-सा सुख

सूख गया

खुशियों का हिस्सा जो लगता था मेरा था

अब मेरा न था

असंवेदनाओं के धरातल पर अकस्मात

काँच-सा फूट गया

खुशियों के टुकड़ों के चूर को बुहारते

विश्लेषण के भी विश्लेषण में तल्लीन

अश्रुपूर्ण है आज अशान्त

अकेला-एकान्त

--------

विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on May 21, 2015 at 6:56pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय कृष्ण जी।

Comment by vijay nikore on May 21, 2015 at 6:55pm

// बहुत भावपूर्ण रचना... एकांत भाव को प्रस्तुत करती प्रभावी प्रस्तुति// 

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मोहन सेठी जी।

Comment by vijay nikore on May 20, 2015 at 3:57am

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई।

Comment by vijay nikore on May 20, 2015 at 3:56am

प्रतिक्रिया से रचना को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय केवल प्रसाद जी।

Comment by vijay nikore on May 20, 2015 at 3:55am

 आपका हार्दिक आभार, श्याम नारायण जी।

Comment by vijay nikore on May 18, 2015 at 3:39am

//एकांत में विगत में हुई बातों पर बरबस ही ध्यान जाता है और व्यक्ति उन्ही में खो जाता है | इसको कागज़ पर उतारने आपकी सशक्त लेखनी को नमन //

ऐसी सराहना दे कर आपने मेरा मनोबल बढ़ाया है, आदरणीय़ लक्ष्मण भाई जी। हार्दिक धन्यवाद।

Comment by vijay nikore on May 18, 2015 at 12:11am

आपसे मिली सराहना से मेरा मनोबल बढ़ा। हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय जितेन्द्र जी।

Comment by vijay nikore on May 18, 2015 at 12:10am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय विजय शंकर जी।

Comment by vijay nikore on May 15, 2015 at 9:24am

//मैं आपकी कविताऐं सुनता रहता हूँ ,बहुत अच्छा लिखते हैं आप,इस कविता के लिये भी दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं //

आदरणीय समर कबीर जी, आपने यह कह कर मेरा मनोबल बढ़ाया है। आपका हार्दिक धन्यवाद।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 14, 2015 at 3:44pm

शब्दों को चोट वाकई बहुत गहरी होती है,अच्छे खासे रिश्ते भी दरक जातें है.व्यावहारिक और सार्थक रचना!हार्दिक बधाई आदरणीय विजय सर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service