For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अर्जी (लघुकथा)/ रवि प्रभाकर

‘जी अब तो पेन्शन की अर्जी पास हो जाएगी ना ?’

अपने कपड़ों को ठीक करते हुए कमरे से बाहर निकलती हुई शहीद फौजी की विधवा ने मंत्री जी के पी.ए. से पूछा
‘अब तो काम हुआ ही समझो ! बस यह अर्जी कल एक बार डाॅयरेक्टर साहिब के पास भी ले जानी होगी'।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 847

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 6:04pm

मजबूरी का फायदा उठाने वालों की कमी नहीं | बहुत ही बढ़िया कथा हुई है आदरणीय सर | हार्दिक बधाई |

Comment by Ravi Prabhakar on May 17, 2015 at 8:03am

श्रद्धेय सौरभ भाई जी, रचना पर आपके सान्‍िनध्‍य से मन अति प्रमुदित है । अापकी शुभेच्‍छाएं सदैव प्राणवायु का कार्य करतीं है । यह आपकी शुभेच्‍छाएं व ओबीओ का साकारात्‍मक परिवेश ही है जो सदैव अच्‍छा करने के लिए उत्‍साहित व प्रेरित करता है। आपके सान्‍िनध्‍य का कृतज्ञ हूं । अापसे प्रशस्‍ति सदैव हर्षोन्‍मत्‍त करती है । भविष्‍य में भी स्‍नेह बनाए रखिएगा । सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 11:29pm

सटीक और समर्थ !
अपनी भावदशा को पाठकों तक संप्रेषित कर पाने में यह लघुकथा पूरी तरह से सफल है. बड़ी मछली-छोटी मछली की कहावत सुना था. आज सारा समाज ही इससे कुप्रभावित दिख रहा है.
भाई रविजी, आपकी संवेदनशीलता पाठकों भक्क कर देती है. इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं. हार्दिक शुभकामनाएँ

अलबत्ता, मैं भी भाई मनोज कुमार अहसास की टिप्पणी के आशय को अनुमोदित करता हूँ.
शुभेच्छाएँ

Comment by Ravi Prabhakar on May 12, 2015 at 10:19pm

आपकी टिप्‍पणी से अभीभूत हूं आदरणीय सुधीर भाई । आप सरीखे मंझे लघुकथाकार से वाहवाही प्राप्‍त करना एक पुरस्‍कार ही है । सादर

Comment by Ravi Prabhakar on May 12, 2015 at 10:16pm

रचना पर आपके अनुमोदन से आनंदित हूं आदरणीय मिथिलेश भाई जी ।

Comment by Ravi Prabhakar on May 12, 2015 at 10:14pm

साभार आदरणीय कृष्‍ण मिश्रा जी, आदरणीय कांता रॉय जी व आदरणीय चंद्रेश भाई जी ।

Comment by Ravi Prabhakar on May 12, 2015 at 10:13pm

आपकी भावनाओं की कद्र करता हूं आदरणीय मनोज मिश्रा जी । सादर ।

Comment by Sudhir Dwivedi on May 12, 2015 at 11:41am

"सुन्न एवं सन्न " पाठक होने के नाते यही अनुभव किया मैंने आपकी कथा पढ़ ..बधाई रवि सर एक और सशक्त कथा हेतु | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 11, 2015 at 9:26am

आदरणीय रवि प्रभाकर जी, आप लघुकथा के एक सशक्त हस्ताक्षर है. आपकी यह लघुकथा पढ़कर मुग्ध हूँ. इस विषय को इतने कम शब्दों में पूरी मार्क क्षमता के साथ अभिव्यक्त करना. वाकई कमाल है. आपको बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर.

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on May 10, 2015 at 7:50pm

मजबूरी  का लाभ उठाना तंत्र में मौजूद वायरसों को बहुत अच्छी तरह आता है..काश ऐसे लोगों के  लिये भी कोई vaccine निकल जाए|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
42 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
47 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
56 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service