For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१२२२/ १२२२ / १२२ 

न जानें क्या से क्या जोड़ा करेंगे
तुम्हारे ग़म में दिल थोडा करेंगे.
.
तुम्हारे साथ हम पीते रहे हैं  
तुम्हारी नाम की छोड़ा करेंगे.
.
तुम्हारी आँख का हर एक आँसू
हम अपनी आँख में मोड़ा करेंगे.
.
घरौंदे रेत के क्यूँ ग़ैर तोड़े
बनाएंगे, हमीं तोडा करेंगे.  
.
नपेंगे आज सारे चाँद तारे
हम अपनी फ़िक्र को घोडा करेंगे.
.
ख़ुदा को हिचकियाँ लगने लगेंगी
उसे आहों से झिंझोड़ा करेंगे.   
.
निलेश 'नूर' 
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 618

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2015 at 6:14pm

शुक्रिया आ. गणेश जी.
 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2015 at 6:09pm

आदरणीय निलेश भाई, अपेक्षाकृत एक कठिन काफिया को बड़ी मुस्तैदी से निभाया है, अच्छी ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है बहुत बहुत बधाई.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2015 at 4:18pm

शुक्रिया आ. डॉ साहब.
दिल थोडा करना भी छोटा करना ही है.
गुलज़ार साहब कुछ यूँ फ़रमाते हैं
.
शहद जीने का मिला करता है थोडा थोडा
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोडा करते.
हाथ छूटें तो भी रिश्ते नहीं तोडा करते
सादर 

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 18, 2015 at 4:00pm

अ० नूर जी

बहुत खूब . एक चीज मुझे खटकती है  . हो सकता है मैं गलत हूँ . दिल छोटा  करना तो मुहावरा है पर दिल थोडा करना  यह अब तक नहीं पढ़ा . सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service