For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गौरैया

खुश थी

चोंच मे सतरंगी सपने लिये

आसमान मे उड रही थी

उधर,

गिद्ध भी खुश था

गौरैया को देखकर

उसने अपनी पैनी नजरे गडा दी

मासूम गौरैया पे,

और दबोचना चाहा अपने खूनी पंजे मे

गौरैया, घबरा के भागी पर कितना भाग पाती ??

आखिर,

गिद्ध के पंजे मे आ ही गयी

गौरैया फडफडा रही थी, रो रही थी

गिद्ध खुश था अपना शिकार पा के

कुछ देर बाद

गौरैया अपने नुचे और टूटे पंखों के साथ

लहूलुहान जमीं पे पडी थी

उसके सतरंगी सपने बिखरे पड़े थे

अभी भी उपर, नीले नही लाल आसमान मे

कुछ और गौरैया उड रही हैं

चोंच मे अपने सतरंगी सपने दबाये

जबकि कुछ और गिद्ध बेखौफ उड रहे हैं

अपना शिकार पाने के लिये

मुकेश इलाहाबादी ---------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 520

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 24, 2015 at 10:31pm

मैं तो इशारा समझ गया था ...कहने का अंदाज नया है 

गौरेया आज भी बुनती सपने, फुदकती आँगन में उड़ती आकाश  में, 

अनगिनत गिद्ध घूमते आँखें गराए हैं  

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on March 24, 2015 at 10:39am
bahut bahut aabhar rachna pasandgee aur utsahvardhan ke liye bhaee Mohan Sethi je aur Mithilesh Wamankar jee
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 24, 2015 at 7:58am

जीत और हार ...और टूटते सपनों की कल्पना निखरी है ....बधाई ...सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 23, 2015 at 6:47pm
प्रतीकात्मक सुन्दर प्रस्तुति , आदरणीय मुकेश जी, बधाई, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 23, 2015 at 5:03pm
आदरणीय मुकेश जी बहुत ही बेहतरीन रचना। प्रतीक अपने मूल भाव को व्यक्त करने में सफल। एक कालजयी रचना जो कई सन्दर्भों में खुलती है। इस विशिष्ट रचना के लिए हार्दिक बधाई निवेदित है।
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on March 23, 2015 at 3:14pm

jee - mitra - ishara wahee hai - baakee khul ke nahee kaha - sarahna ke liye shukraguzaar hoon Dr. Gopal Narayan Srivastava jee

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 23, 2015 at 2:17pm

मुकेश जी

इस कविता को सुकुमारियो से हो रहे बलात्कार से सांकेतिक रूप से जोड़ते तो कविता  क़यामत बन जाती . फिर भी बहुत अच्छी है . आपको बधायी. सादर .

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on March 23, 2015 at 12:44pm
aabhar Shyam Narain Verma jee
Comment by Shyam Narain Verma on March 23, 2015 at 12:25pm
सुंदर भाव से संजोयी रचना पर बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service