For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल -- कोई मर जाये, गर कभी जी ले ( गिरिराज भंडारी )

2122  1212   22 

ज़िन्दगी दी ख़ुदा ने प्यारी है 

चाहतें पर बहुत उधारी है

 

इस तरफ़ हम खड़े उधर अरमाँ

बेबसी बस लगी हमारी है

 

ख़्वाब तो रोज़ ही बुनें,  लेकिन

हर हक़ीकत लिये कटारी है

 

ख़र्च का क़द बढ़ा है रोज़ मगर

रिज़्क की शक़्ल माहवारी है

 

रिश्ते बदशक़्ल हो गये अपने

पेट की आग सब से भारी है

      

फुनगियों में लटक रहे अरमाँ

कोई सीढ़ी नहीं , न आरी है

 

तिश्नगी अश्क़ भी पिये कैसे

आँसुओं की नदी भी खारी है

 

ऐ ख़ुदा ! सिर्फ ग़म की कूँची से

मेरी तस्वीर क्यूँ उतारी है

 

कोई मर जाये, गर कभी जी ले

ज़िन्दगी मैनें जो गुज़ारी है

 

ज़िन्दगी फिर भी जी रही है तू  

बस यही बात तेरी प्यारी है  

**************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on March 23, 2015 at 12:09pm

 

फुनगियों में लटक रहे अरमाँ

कोई सीढ़ी नहीं , न आरी है

 

तिश्नगी अश्क़ भी पिये कैसे

आँसुओं की नदी भी खारी है

 

ऐ ख़ुदा ! सिर्फ ग़म की कूँची से

मेरी तस्वीर क्यूँ उतारी है YUN TO HER SHER UMDA BHAEE JEE - PER YE TEEN KHAAS - JINKA KOEE JAWAAB NAHEE - BADHEE

Comment by vandana on March 20, 2015 at 9:26pm

 

तिश्नगी अश्क़ भी पिये कैसे

आँसुओं की नदी भी खारी है

 

ऐ ख़ुदा ! सिर्फ ग़म की कूँची से

मेरी तस्वीर क्यूँ उतारी है

वाह बहुत बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय 

Comment by maharshi tripathi on March 20, 2015 at 7:30pm

ऐ ख़ुदा ! सिर्फ ग़म की कूँची से

मेरी तस्वीर क्यूँ उतारी है

 

कोई मर जाये, गर कभी जी ले

ज़िन्दगी मैनें जो गुज़ारी है

  इस सुंदर गजल पर सादर बधाई आपको आ. गिरिराज भंडारी सर जी |

Comment by Meena Pathak on March 20, 2015 at 2:53pm

बहुत सुन्दर गज़ल हुई आ० गिरिराज सर ..सादर बधाई स्वीकारें 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 20, 2015 at 2:34pm
बड़े ख़ूबसूरत अश’आर हुए हैं आ. गिरिराज जी, दाद कुबूल करें
Comment by Shyam Narain Verma on March 20, 2015 at 10:47am
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!
Comment by Hari Prakash Dubey on March 19, 2015 at 11:40pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी  सर, शानदार रचना , हार्दिक बधाई आपको , सादर !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 19, 2015 at 11:04pm

आदरणीय अजय भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 19, 2015 at 11:03pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये हृदय से आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 19, 2015 at 11:02pm

आदरणीय निर्मल भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया ॥ आपका इशारा समझ गया हूँ , आवश्यक सुधार ज़रूर करूँगा ॥ आपका बहुत शुक्रिया ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
47 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
2 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service