For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-फागुन की मस्ती में

बड़ा चंचल हुवा जाता है मन फागुन की मस्ती में
नज़र आता है जब भीगा बदन फागुन की मस्ती में

लगी है दिल में ये कैसी अगन फागुन की मस्ती में
मज़ा देती है शोलों की तपन फागुन की मस्ती में

चली है झूमती गाती पवन फागुन की मस्ती में
खिला जाता है ये दिल का चमन फागुन की मस्ती में

सखी मन का मयूरा है मगन फागुन की मस्ती में
पिया से जा लगे मोरे नयन फागुन की मस्ती में

ये सोचा है कि इज़हार-ए-मुहब्बत कर ही डालूंगा
अगर हो जाएगा उन से मिलन फागुन की मस्ती में

अगर वो सामने होते तो मस्ती और बढ़ जाती
है दिल में एक मीठी सी चुभन फागुन की मस्ती में

वहीं ख़ैमे लगाकर फाग का उत्सव मनाते हैं
जहाँ लग जाए बंजारों का मन फागुन की मस्ती में

मिरी मदहोशियों में चाँद पूनम का भी शामिल है
मिला देता है ये अपनी किरन फागुन की मस्ती में

ये सब टैसू के फूलों की बदौलत है "समर"देखो
गुलाबी हो गया नीला गगन फागुन की मस्ती में

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 2, 2015 at 1:10pm

ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है समर साहब। दाद कुबूल कीजिए

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 12:45pm

आदरणीय समर कबीर साहब,बहुत ही सुन्दर रचना है

ये सोचा है कि इज़हार-ए-मुहब्बत कर ही डालूंगा
अगर हो जाएगा उन से मिलन फागुन की मस्ती में....शानदार , हार्दिक बधाई आपको ! सादर  

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2015 at 11:12pm

फागुन की मस्ती में..   इस मस्त करती ग़ज़ल के लिए ढेर सारी  दाद कुबूल करें, आदरणीय समर कबीर साहब..

होली के हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by Samar kabeer on March 1, 2015 at 11:01pm
जनाब ख़ुर्शीद जी,आदाब,
"ग़ज़ल सनके समर तेरी सभी के दिल फड़क उठ्ठे
हुए जाते हैं सब शाईर मगन फागुन की मस्ती में"
ख़ुर्शीद जी ग़ज़ल की सराहना के लिये धन्यवाद,आपके माध्यम से मंच को यह बताना चाहता हूँ की यह फ़िलहाल मेरी आख़री ग़ज़ल है,एक माह तक मैं मंच पर उपस्थित नहीं रहूँगा,आप जानते हैं कि मैं आँखो से माज़ूर हूँ और मेरी ग़ज़ले और कमेंट मेरा.बेटा पोस्ट करता है,कल से उसकी परीक्षा शुरू हो रही है अर मैं नहीं चाहता की मेरा बेटा मेरी वजह से डिस्टर्ब हो
,इन्शाअल्ला अब एक माह बाद ही मुलाक़ात होगी ,ग़ज़ल पसंद करने के लिये सब का शुक्रिया अदा करता हूँ |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 1, 2015 at 10:27pm

जनाब समर कबीर साहब बेहतरीन रवाँ ग़ज़ल है हर शेर लाजवाब है हर लिहाज से बेहद कसी हुई ग़ज़ल है दिली दाद कुबूल फरमायें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 1, 2015 at 10:23pm

ग़ज़ल ये आपकी सच में बढ़ा दी और मस्ती को

सभी अशआर पढ़ के हूँ मगन फागुन की मस्ती में ॥

आदरणीय समर भाई , इस मस्ती भरी ग़ज़ल के लिये दिली मुबारकबादें हाज़िर हैं , कुबूल फरमायें ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 1, 2015 at 9:46pm

आदरणीय समर कबीर से मतले से मकते तक जानदार शानदार फागुन की मस्ती है 

बहुत ही उम्दा और बेहतरीन ग़ज़ल हुई 

विशेष रूप से ये अशआर तो कमाल है -

ये सोचा है कि इज़हार-ए-मुहब्बत कर ही डालूंगा
अगर हो जाएगा उन से मिलन फागुन की मस्ती में........... वाह 

अगर वो सामने होते तो मस्ती और बढ़ जाती
है दिल में एक मीठी सी चुभन फागुन की मस्ती में.... सुन्दर 

वहीं ख़ैमे लगाकर फाग का उत्सव मनाते हैं
जहाँ लग जाए बंजारों का मन फागुन की मस्ती में......... बेहतरीन 

मिरी मदहोशियों में चाँद पूनम का भी शामिल है
मिला देता है ये अपनी किरन फागुन की मस्ती में..... उम्दा 

Comment by khursheed khairadi on March 1, 2015 at 8:39pm

ये सोचा है कि इज़हार-ए-मुहब्बत कर ही डालूंगा
अगर हो जाएगा उन से मिलन फागुन की मस्ती में

अगर वो सामने होते तो मस्ती और बढ़ जाती
है दिल में एक मीठी सी चुभन फागुन की मस्ती में

वहीं ख़ैमे लगाकर फाग का उत्सव मनाते हैं
जहाँ लग जाए बंजारों का मन फागुन की मस्ती में

आहा..... मज़ा आ गया ...आदरणीय कबीर साहब ...अब लग रहा है की फागुन की मस्ती छ गई है |इतनी दिलकश ग़ज़ल हुई है कि मन बार बार झूम रहा है |इसी झूम में एक ग़ज़ल मुझसे भी हो गई है (जल्द पोस्ट कर रहा हूं ) इस बेहतरीन ग़ज़ल और मस्त.. मस्त ..मस्त अशआरों के लिए हार्दिक बधाई |सादर अभिनन्दन |

Comment by somesh kumar on March 1, 2015 at 8:19pm

सखी मन का मयूरा है मगन फागुन की मस्ती में
पिया से जा लगे मोरे नयन फागुन की मस्ती में

बहुत सुंदर गज़ल है फागुन की मस्ती में 

हृदय खिलता कमल है फागुन की मस्ती में 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2015 at 7:55pm

ये सब टैसू के फूलों की बदौलत है "समर"देखो
गुलाबी हो गया नीला गगन फागुन की मस्ती में - बहुत सुंदर | हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपने, आदरणीय, मेरे उपर्युक्त कहे को देखा तो है, किंतु पूरी तरह से पढ़ा नहीं है। आप उसे धारे-धीरे…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"बूढ़े न होने दें, बुजुर्ग भले ही हो जाएं। 😂"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ सर,अजय जी ने उर्दू शब्दों की बात की थी इसीलिए मैंने उर्दू की बात कही.मैं जितना आग्रही उर्दू…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश जी,    ऐसी कोई विवशता उर्दू शब्दों को लेकर हिंदी के साथ ही क्यों है ? उर्दू…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मेरा सोचना है कि एक सामान्य शायर साहित्य में शामिल होने के लिए ग़ज़ल नहीं कहता है। जब उसके लिए कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश  ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका बहुत शुक्रिया "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"अनुज ब्रिजेश , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका  हार्दिक  आभार "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service